केके वर्मा, लखनऊ
प्रदेश पुलिस में आईजी रहते सोलह श्रृंगार करके राधा होने का दावा करने वाले पूर्व आईपीएस अफसर डीके पांडा ने 381 करोड़ की ऑनलाइन ठगी का दावा किया है। पांडा ने दावा किया है कि ऑनलाइन ट्रेडिंग से उन्होंने ये पैसे कमाए थे जो अब तक उनके बैंक खाते में नहीं आए हैं। प्रयागराज में बाबा कृष्णानंद के नाम से रह रहे डीके पांडा ने धूमनगंज थाने में 381 करोड़ की ठगी की प्राथमिकी दर्ज कराई है।
राधा रूप में 16 श्रृंगार करके दफ्तर आने के कारण विवाद के बाद पांडा ने रिटायरमेंट से दो साल पहले इस्तीफा दे दिया था।पांडा का दावा है कि 381 करोड़ रुपये लंदन की निवेश कंपनी में उनकी लाभ की राशि है। पुलिस मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच- पड़ताल कर रही है। प्रयागराज के प्रीतम नगर में रहने वाले पांडा ने तहरीर में बताया है कि कुछ समय पहले उनकी राहुल नामक युवक से ऑनलाइन पहचान हुई थी। उसी के सुझाव पर उन्होंने लंदन की फिन्नीएक्स ग्रुप डाॅट काॅम में रुपये निवेश किए थे। इसके बदले उन्हें 381 करोड़ रुपये का लाभ दिखाया गया। पांडा के मुताबिक जब वे रुपये निकालने बैंक गए तो पता चला कि पैसा खाते में आया ही नहीं है। इसकी शिकायत करने पर 25 अक्तूबर की दोपहर आरव शर्मा नामक व्यक्ति ने वाट्सएप काॅल किया। उसने खुद को राजस्थान का मूल निवासी और साइसेक साइप्रस में कार्यरत बताया। उसने रुपये की निकासी के लिए टैक्स, ट्रांजेक्शन फीस आदि के नाम पर 8 लाख रुपये जमा कराने की बात कही। जब डीके पांडा ने पैसे देने से मना किया तो आरोपी ने अपशब्द कहे और पांडा का आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज का इस्तेमाल टेरर फंडिंग में करने और उनकी कमाई के रुपये आतंकियों को देकर उन्हें फंसाने की धमकी दी। डीके पांडा ने मुकदमा दर्ज कराते हुए मामले की सीबीआई और एनआईए से जांच कराने की मांग की है।
ओडिशा के मूल निवासी डीके पांडा पूर्व में भी चर्चा में रह चुके हैं। 1971 बैच के आईपीएस पांडा 2005 में आईजी के पद पर थे। वे सोलह श्रृंगार कर ड्यूटी पर गए थे। उन्होंने खुद को दूसरी राधा घोषित कर दिया था। इससे पुलिस विभाग की खूब किरकिरी हुई थी। तब उन्होंने रिटायर होने से दो साल पहले 2005 में नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। लेकिन 2015 पांडा भगवान कृष्ण के सपने के आधार पर दूसरी राधा के रूप को त्याग दिया और कृष्णानंद बन गए।