यूपी80 न्यूज, लखनऊ
प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ के बाद केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार विपक्ष से लेकर संतों के निशाने पर भी आ गई है। सियासी दलों के बाद अब संतों और महंतों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि मौजूदा सरकार को सत्ता में रहने का अब नैतिक अधिकार नहीं है। भगदड़ की घटना ने सरकारी इंतजामों की पोल खोल दी है। अधिकारी महाकुंभ में 40 करोड़ और मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का दावा पहले ही कर रहे थे। इस हिसाब से उन्हें व्यापक तैयारी करके रखनी चाहिए थी।

शंकराचार्य ने कहा कि महाकुंभ में हुई यह घटना बताती है कि तैयारी पूरी नहीं थी और लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया। उन्होंने योगी सरकार को नसीहत दी कि अगर हमारे घर के किसी समारोह में 1000 लोगों की व्यवस्था है तो फिर हमें वहां 5000 लोगों को नहीं बुलाना चाहिए। महाकुंभ में यही हुआ।

शंकराचार्य ने कहा कि व्यवस्थाओं के बेहतर दावे की जानकारी पाकर श्रद्धालु यहां पर आ गए, लेकिन ग्राउंड जीरो पर उनके लिए पुख्ता इंतजाम नहीं थे। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मौतों का आंकड़ा 17 घंटे तक गुप्त रखने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी समेत सभी सरकारी मंत्री व अधिकारी सोशल मीडिया अकाउंट पर घटना की सही जानकारी नहीं देकर लोगों से सिर्फ अफवाहों पर ध्यान नहीं दिए जाने की अपील की जा रही थी। ऐसे में उनके जैसे धर्माचार्य को इस घटना की जानकारी ही नहीं हुई। सही समय पर घटना की जानकारी मिलती तो वह लोग परंपराओं का पालन करते हुए मृतक आत्माओं को श्रद्धांजलि देते और एक दिन का उपवास रखते। तमाम लोग फोन पर संपर्क कर अपने लोगों के लापता होने और कोई जानकारी नहीं मिलने की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह मौजूदा सरकार की बहुत बड़ी विफलता है। ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया। सरकार को खुद ही हट जाना चाहिए या फिर जिम्मेदार लोगों को इस मामले में दखल देना चाहिए। इस घटना ने सनातनियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े किए हैं।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि आने वाले दिनों में रोजाना लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आएंगे। अगर इस घटना को लेकर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में इससे बड़ी घटना होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे मामले में बेहद सख्त कार्रवाई जरूरी है।
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