गठबंधन ने मात्र 4 ठाकुरों को दिया टिकट
लखनऊ / बलिया
बसपा से गठबंधन के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कुछ बदले- बदले से है। मायावती के बाद अब अखिलेश यादव ने भी ठाकुर नेताओं से किनारा कर लिया है। लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी ने महज दो ठाकुरों को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने मात्र एक और राष्ट्रीय लोकदल ने भी एक ठाकुर प्रत्याशी पर ही भरोसा जताया है। अर्थात कल तक जिस समाजवादी पार्टी में यादव और मुस्लिम के बाद जिन ठाकुर नेताओं को सर्वाधिक तवज्जो दिया जाता था, अब सपा उनसे दूर हो रही है। उधर, बसपा ने आठ ब्राह्मण और सपा ने दो ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।
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2007 से शुरू हुई गोलबंदी:
बता दें कि समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की एंट्री और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मुलायम सिंह की नजदीकी की वजह से सपा में ठाकुर नेताओं को शुरू से महत्व मिलता रहा। मुलायम सिंह ने यादव, मुस्लिम नेताओं के अलावा ठाकुर नेताओं को भी खूब तरजीह दी और हर बार अपने मंत्रिमंडल में ठाकुर नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई।
2007 में सत्ता में आने से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुलायम सिंह के जवाब में ब्राह्मण कार्ड खेला और चुनाव में काफी तादाद में ब्राह्मणों को टिकट दिया। 2007 में हुई बंपर जीत के बाद मायावती ने अपने कैबिनेट में सर्वाधिक मंत्री के तौर पर ब्राह्मणों को तरजीह दी।
2017 की हार के बाद करीब आईं सपा, बसपा और आरएलडी:
वैसे तो 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और आरएलडी को बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा। सपा को महज 5 सीटें और बसपा- आरएलडी को शून्य सीटें मिलीं।
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राज्यसभा चुनाव ने राजा भैया और अखिलेश यादव के बीच बढ़ाई दूरियां:
पिछले साल राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा के विधायकों ने सपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया। इसके विपरीत बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को अखिलेश यादव के करीबी एवं ठाकुरों के बीच काफी लोकप्रिय कुंडा विधायक राजा भैया ने वोट नहीं दिया। राजा भैया ने अंबेडकर के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया। तत्पश्चात मायावती ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि अखिलेश यादव की जगह यदि वह रहती तो सबसे पहले बसपा उम्मीदवार को जिताने का कार्य करती। उन्होंने राजा भैया की आलोचना भी की थी। इसके बाद अखिलेश यादव एवं राजा भैया के बीच कड़वाहट और अधिक बढ़ गई।
योगी फैक्टर से नाराज ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने की कोशिश:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ (प्रारंभिक नाम अजय सिंह बिष्ट) को मुख्यमंत्री बनाया गया और कैबिनेट में सर्वाधिक ठाकुर विधायकों को तरजीह दी गई। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ पर नौकरशाही में ठाकुर अधिकारियों को ज्यादा तवज्जो देने का भी आरोप लगता रहा है। ऐसी स्थिति में ब्राह्मण खुद को ठगा महसूस करने लगें। हालांकि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने ब्राह्मणों को खुश करने के लिए काफी कोशिश की। कैबिनेट के अलावा मुख्य सचिव और कई आयोगों में ब्राह्मण अधिकारियों और नेताओं को शामिल किया गया, लेकिन ऐसा लगता है कि अभी भी ब्राह्मण वर्ग भाजपा से नाराज है।
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अब 23 मई को देखना है कि बसपा सु्प्रीमो का ब्राह्मण कार्ड कितना सफल होता है और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ठाकुरों से दूरी कितनी कारगर साबित होती है।
बसपा के ब्राह्मण प्रत्याशी: 8
बसपा के ठाकुर प्रत्याशी : 1 (सुल्तानपुर)
सपा के ब्राह्मण प्रत्याशी : 2
सपा के ठाकुर प्रत्याशी : 2
आरएलडी के ठाकुर प्रत्याशी : 1 (मथुरा)