न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वालों पर मुकदमा दर्ज हो: चौ.राकेश टिकैत, भाकियू
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ0 राकेश टिकैत ने हाल में घोषित सीजन 2020-21 के लिए निर्धारित खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों Farmers के साथ धोखा बताया है। चौ.राकेश टिकैत ने कहा कि एक बार फिर सरकार ने महामारी के समय आजीविका के संकट से जूझ रहे किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है। यह देश के भंडार भरने वाले और खाद्य सुरक्षा की मजबूत दीवार खड़ी करने वाले किसानों के साथ धोखा है।
पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि:
चौ.राकेश टिकैत ने कहा है कि यह पिछले पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि है। सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों की लागत के बराबर ही समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है। किसानों को कुल लागत सी2 पर 50 प्रतिशत जोड़कर बनने वाले मूल्य के अलावा कोई मूल्य मंजूर नहीं है। सरकार महंगाई दर नियंत्रण करने के लिए देश के किसानों की बलि चढ़ा रही है। इसी किसान के दम पर सरकार कोरोना जैसी महामारी से लड़ पायी है। इस महामारी में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति का नहीं मांग का संकट बना हुआ है।
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सरकार द्वारा बढ़ाया गया धान का समर्थन मूल्य:
वर्ष 2016-17 में 4.3 प्रतिशत,
2017-18 में 5.4 प्रतिशत,
2018-19 में 12.9 प्रतिशत,
2019-20 में 3.71 प्रतिशत वृद्धि
वर्तमान सीजन 2020-21 में 2.92 प्रतिशत वृद्धि
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प्रति कुंतल नुकसान:
सरकार द्वारा घोषित धान के समर्थन मूल्य में प्रत्येक कुन्तल पर 715 रुपये का नुकसान है। ऐसे ही ज्वार में 631 रुपये, बाजरा में 934रुपये, मक्का में 580 रुपये, तुहर/अरहर दाल में 3603 रुपये, मूंग में 3247 रुपये, उड़द में 3237 रुपये, चना में 3178 रुपये, सोयाबीन में 2433 रुपये, सूरजमुखी में 1985 रुपये, कपास में 1680 रुपये, तिल में 5365 रुपये प्रति कुंतल का नुकसान है।
भारतीय किसान यूनियन BKU के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि भाकियू ने सवाल किया है कि आखिर इस वृद्धि के लिए सरकार ने कौन सा फार्मूला अपनाया है। भारतीय किसान यूनियन किसानों से आह्वान करती है कि इस अन्याय के खिलाफ सामुहिक संघर्ष शुरू करें। भाकियू मांग करती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी कानून बनाया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वाले व्यक्ति पर अपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।
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