सपा अध्यक्ष का मास्टर स्ट्रोक; मोदी कैबिनेट ने कृषि कानूनों की वापसी पर लगाई मुहर
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को सत्ता में आने पर 25-25 लाख रुपए की ‘किसान शहादत सम्मान राशि’ देने की घोषणा की है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी देते हुए कहा है,
“किसान का जीवन अनमोल होता है, क्योंकि वो ‘अन्य’ के जीवन के लिए ‘अन्न’ उगाता है। हम वचन देते हैं कि 2022 में सपा की सरकार आते ही किसान आंदोलन के शहीदों को 25 लाख कि ‘किसान शहादत सम्मान राशि’ दी जाएगी।”
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह वचन दिया है कि किसान आंदोलन में पिछले एक साल में आंदोलनरत रहते हुए जो किसान शहीद हुए हैं उनके परिजनों को 25-25 लाख रुपए की सम्मान राशि समाजवादी सरकार बनने पर तत्काल प्रदान की जाएगी।

राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पिछली सपा सरकार में श्री यादव ने किसान हित में अनेक कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया था। किसानों की उपज का मूल्य बढ़ाने, मुफ्त सिंचाई, खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता सहित अन्नदाता के लिए सस्ती बिजली दिलाने के लिए ठोस नीतियां समाजवादी सरकार की ही देन है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में सपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने पूरी निष्ठा-ईमानदारी से कृषि-कानून का विरोध किया। आंदोलनरत समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा सरकार ने प्रदेश भर में मुकदमों में फंसाया है।
सपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री रामप्रसाद चौधरी कहते हैं कि हमारे नेता की यह घोषणा बहुत ही सराहनीय है। इससे स्पष्ट होता है कि किसानों की सच्ची हितैषी समाजवादी पार्टी ही है। बलिया जनपद के रहने वाले सपा नेता एवं पूर्व विधायक छोटे लाल राजभर का कहना है कि अखिलेश यादव जी का यह फैसला अत्यधिक प्रशंसनीय है। हमारे नेता के इस फैसला से उन किसान परिवारों को सम्बल मिलेगा, जिन्होंने किसान आंदोलन में अपनो को खो दिया।

मोदी कैबिनेट ने कृषि कानून वापसी पर लगाई मुहर:
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने कृषि कानूनों की वापसी पर मुहर लगा दी है। बता दें कि पिछले सप्ताह गुरु पर्व के मौके पर पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने किसानों से क्षमा मांगते हुए कहा था कि हम किसानों को समझाने में असफल रहे।