यूपी 80 न्यूज़, वाराणसी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 24 दिसंबर को बनारस में प्रस्तावित रैली फ़िलहाल रद्द कर दी गई है। रैली रद्द होने के पीछे की मुख्य वजह मैदान उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उत्तर प्रदेश प्रभारी व बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जिम्मेदारी ठहराया है। उन्होंने कहा कि कॉलेज प्रबंधन ने आज-कल करते हुए अंततः साफ कह दिया कि उसे कॉलेज पर बुलडोजर नहीं चलवाना है। बहुत दबाव है।
नीतीश कुमार की इस रैली को सफल बनाने के लिए श्रवण कुमार कई दिनों से बनारस में डेरा डाले हुए थे। कई गांवों में बैठकें कीं। इस रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। अचानक 14 दिसंबर को इसे रद्द करने की घोषणा की गई। इसके पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं, वह वास्तव में लोकतंत्र के लिए चिंताजनक हैं।
चिंताजनक इसलिए कि एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रैली के लिए जगह नहीं मिली। इसके पीछे किसका हाथ हो सकता है। वाराणसी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। सवाल उठ रहा है कि कॉलेज प्रबंधन पर किसका दबाव था?
बिहार के मंत्री श्रवण कुमार की बात यदि सही है तो किसी न किसी का दबाव था ही। बकौल श्रवण कुमार इसे कॉलेज प्रबंधन ने स्वीकार भी किया। श्रवण कुमार ने कहा कि जगतपुर में एक कॉलेज मैदान की स्वीकृति के लिए चार-पांच दिन से आज-कल किया जा रहा था। फिर अचानक से यह कहते हुए प्रबंधन द्वारा मना किया गया कि उसके ऊपर काफी दबाव है। उसे कॉलेज पर बुलडोजर नहीं चलवाना है।
श्रवण कुमार ने कहा कि 29 दिसंबर को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक है। अब जनवरी में बनारस में रैली होगी, जिसे नीतीश कुमार संबोधित करेंगे।
नीतीश कुमार की रैली के लिए मैदान उपलब्ध न होने से राष्ट्रीय स्तर पर सियासत तेज हो गई है। राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि मोदी बनारस के मालिक हैं क्या? संकटमोचन, बाबा विश्वनाथ तथा वहां के कोतवाल हैं। ये नए कोतवाल हो गए हैं।
उधर, गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार को बनारस से ही लोकसभा चुनाव लड़ जाने की चुनौती दे डाली है।