क्या राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को योगी सरकार के अधिकारी सम्मान नहीं दे रहे हैं ?
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने फिलहाल रोक लगा दी है। मामले की सुनवाई के लिए आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को तीन बार नोटिस भेजी गई, बावजूद इसके योगी सरकार का कोई अधिकारी सुनवाई में नहीं पहुंचा। सरकार के इस रवैये से आयोग खफा है। सरकार की इस रवैये पर सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने चुटकी लेते हुए पूछा है कि भाजपा सरकार में संवैधानिक आयोगों की यह हैसियत हो गई है?
मंगलवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.लोकेश कुमार प्रजापति ने जांच प्रक्रिया पूरी होने तक सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर जारी भर्ती पर रोक लगा दी है। आयोग ने सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से किसी अधिकारी के उपस्थित न होने पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि इस लापरवाही से साफ होता है कि आयोग के प्रति कोई सम्मान नहीं है।
बता दें कि सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण में बरती जा रही अनियमितता को लेकर अपना दल (एस) के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल, बीजेपी विधायक राकेश राठौर और बसपा की विधायक सुषमा पटेल पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन प्रदेश सरकार की तरफ से मामले की अनदेखी किए जाने पर बसपा विधायक सुषमा पटेल ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का दरवाजा खटखटाया और आयोग ने सुनवाई के लिए प्रदेश सरकार को तलब किया।
तीन बार भेजी जा चुकी है नोटिस:
सहायक अध्यापक भर्ती मामला में आयोग द्वारा अब तक प्रदेश सरकार को तीन बार नोटिस भेजी जा चुकी है। आयोग ने यूपी सरकार को 3 जून को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा। जवाब न मिलने पर 15 जून को रिमाइंडर भेज कर तीन दिन का समय मांगा गया। लेकिन उसे भी नजरअंदाज किए जाने पर आयोग ने 29 जून को आयोग के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया। फिर 7 जुलाई को सभी दस्तावेज के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया गया, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से कोई अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ।