कब चुप्पी तोड़ेंगे ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल?
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
“ईद पर सड़क पर नमाज पढ़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी”
मेरठ पुलिस के इस फरमान पर आखिरकार भाजपा की सहयोगी रालोद के मुखिया एवं केंद्र में मंत्री जयंत चौधरी ने चुप्पी तोड़ दी है और उन्होंने इसका विरोध भी किया है। लेकिन प्रदेश में भाजपा के अन्य सहयोगी अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के मुखिया डॉ.संजय निषाद और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर अभी भी खामोश हैं। ये नेता अपनी सुविधा के अनुसार आवाज उठाते हैं। इन नेताओं को ईमानदारी के प्रतीक एवं स्वच्छ छवि वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के इस लेख से नसीहत जरूर लेनी चाहिए।
https://twitter.com/jayantrld/status/1904948613769289920
सुलखान सिंह ने सोशल मीडिया पर एक लेख लिखा है। आप भी इस लेख को पढ़िए,,,
“ईद पर सड़क पर नमाज पढ़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी”
मेरठ पुलिस के इस तुगलकी फरमान पर, श्री जयंत चौधरी ने कहा है कि धर्म के आधार पर विभेद करना अनुचित है और उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर स्वतंत्र रुख़ अपनायेगी। श्री चौधरी को अब लगने लगा है कि उन्होंने सरकार ज्वाइन करके गलती की।
दरअसल, इस तरह के फरमान, फिर से मध्ययुगीन भारत की अराजकता, एक वर्ग की श्रेष्ठता और बाकी सबके खिलाफ अत्याचार जैसी व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने के निंदनीय प्रयास हैं।

साल में तीन बार, पंद्रह मिनट के लिए, सड़क पर नमाज नहीं पढ़ सकते, लेकिन हफ्ते भर कांवड़िए हरिद्वार से मेरठ तक सड़क जाम कर सकते हैं! सड़कों पर जगह-जगह भंडारा करके जाम लगा सकते हैं, लेकिन तीन बार नमाज नहीं पढ़ सकते! संलग्न चित्र जरा देखिए, ये भंडारे दिन भर रोड ब्लाक किये रहते हैं, कई कई हफ्ते! वाह रे शासन! कीर्तन, अखंड पाठ के नाम पर सड़क घेर कर लाउडस्पीकर पर फिल्मी धुनों पर कथित भजन बजाना सही है लेकिन नमाज पढ़ना नहीं! वाह रे व्यवस्था!
दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सभ्य समाज, इस निंदनीय भेद-भाव की निंदा नहीं करता। अदालतें भी स्वविवेक से संज्ञान नहीं लेतीं। बड़ी हैरत की बात तो है लेकिन यह पतन की सुनिश्चित निशानी है। यह देश हमेशा इसी तरह के सामाजिक भेद-भाव और अन्याय के कारण कमजोर रहा है और गुलामी का शिकार बना है।
हिन्दू भाई, खासकर पिछड़े और दलित यह न भूलें कि इसी तरह एक-एक करके समाज को तोड़ा गया है और अंत में दलित वर्ग ही सर्वाधिक उत्पीड़ित हुआ है। छत्रपति शिवाजी द्वारा दलितों पिछड़ों को ऊपर उठाकर, बनाए गए सशक्त समाज को, पेशवाओं ने पचास साल में ही छिन्न-भिन्न कर दिया। दलितों के गले में हंड़िया और कमर में झाड़ू बंधवा दिया।
डाक्टर आंबेडकर ने कहा था, शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो”। सावधान रहिए, स्वतंत्र चिंतन करिये।
किसी विचारक ने बहुत सटीक कहा है –
“मैं आज ज़द पे अगर हूं, तो खुशग़ुमान न हो।
चिराग सबके बुझेंगे, हवा किसी की नहीं।।
मित्रगण, अगर इसी नफरती नशे में चूर रहे तो “अगला नंबर आपका है”।