यूपी80 न्यूज, लखनऊ
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी करीब आ सकती हैं। शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जन्मदिन की बधाई दी। इसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि जन्मदिन के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अखिलेश यादव को बधाई दी है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा बुआ व भतीजे की ही है। बसपा सुप्रीमो के इस पैतरे से राजनीतिक पंडित भी असमंजस में पड़ गए हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को आज उनके जन्मदिन पर उन्हें व उनके परिवार वालों को हार्दिक बधाई तथा उनकी अच्छी सेहत के साथ लम्बी उम्र की शुभकामनायें।
— Mayawati (@Mayawati) July 1, 2023
चर्चा है कि बुआ ने जन्मदिन के बहाने भतीजे को मनाने की कोशिश की है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट के जरिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जन्मदिन पर उन्हें व उनके परिवारवालों को बधाई और उनकी अच्छी सेहत के साथ लंबी उम्र की शुभकामनाएं दी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी को जन्मदिन की बधाई!
प्रभु श्री राम से आपके उत्तम स्वास्थ्य की कामना है।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) July 1, 2023
सियासी जानकार कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल एक मंच पर आ रहे हैं, बहुजन समाज पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात कह रही हैं। लेकिन अखिलेश यादव के जन्मदिन पर ट्वीट कर मायावती की तरफ से बधाई दिए जाने से संकेत मिल रहे हैं कि बसपा सुप्रीमो भी भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के साथ शामिल हो सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के साथ बसपा के आने से भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है। लडाई तगड़ी हो सकती है।
बसपा सुप्रीमो की तरफ से साफ किया गया था कि बहुजन समाज पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी, लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद मायावती और अखिलेश के बीच रिश्तों में दरार पड़ गई थी। लेकिन इस बधाई संदेश से संकेत मिल रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती इसे भरना चाहती हैं। यह उनके ट्वीट से साफ झलक रहा है। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि लोकसभा चुनाव में मायावती विपक्षी दलों के साथ खड़ी होंगी या अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरेंगी।

