यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
प्रख्यात अर्थशास्त्री एवं देश में मंडल पार्ट टू लागू करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह Dr Manmohan Singh (92 साल) नहीं रहे। गुरुवार रात्रि दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। गुरुवार रात्रि अचानक उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें एम्स के इमरजेंसी में लाया गया, जहां पर काफी प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनते ही कांग्रेस समेत देश के तमाम दिग्गज नेताओं का एम्स में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। उनके निधन से देश का आम आदमी काफी गमगीन है।
एम्स के मीडिया सेल की प्रभारी व प्रोफेसर डॉ.रीमा दादा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उम्र से संबंधित चिकित्सा संबंधी समस्याओं के लिए उनका इलाज चल रहा था। 26 दिसंबर को घर पर अचानक बेहोश हो गए। उन्हें एम्स के मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया, जहां तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। रात्रि 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
सर्वाधिक शिक्षित प्रधानमंत्री थे मनमोहन सिंह:
डॉ.मनमोहन सिंह देश के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे। अल्पसंख्यक समाज से आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री थे। 1991 में तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। देश में शुरू किए गए उदारीकरण का श्रेय डॉ.मनमोहन सिंह को जाता है।
2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए की सरकार का नेतृत्व डॉ.मनमोहन सिंह ने किया। आपके कार्यकाल में उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ओबीसी आरक्षण लागू हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे नेता भी आर्थिक मामलों पर मनमोहन सिंह की समझ के कायल रहे।
डॉ.मनमोहन सिंह की तबीयत खराब होने की जानकारी मिलते ही राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक में होने वाली अपनी रैली को रद्द कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
इतिहास उदारता से करेगा मूल्यांकन:
कांग्रेस नेता अनुपम कहते हैं, “मीडिया जब उनको बदनाम कर रही थी, तो डॉ.सिंह ने कहा था कि इतिहास उनका मूल्यांकन उदारता से करेगा। आज वो बात सच साबित हो रही है, जब पूरी दुनिया उनको भारत मां के महान सपूत के तौर पर याद करते हुए नम आंखों से विदाई दे रही है।“
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