जगदीश ममगांई, नई दिल्ली
पार्टी मां होती है,अपनी मां का सीना चाक कर जाने वालों का कभी भला नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी में यह बोल वचन खासा मशहूर है विशेषकर जब कल्याण सिंहजी, मदन लाल खुराना जी, उमा भारती जी, येदुरप्पा जी पार्टी छोड़ कर गए तो कार्यकर्ता उनके प्रभाव में न आएं, यह घुट्टी पिलाई जाती थी।
पर नई बीजेपी जिन्हें दल बदल करा महिमामंडित करते हैं। क्या उनकी पार्टी उनकी मां नहीं थी! क्या लवली, राजकुमार चौहान, तरविंद, कैलाश गहलोत, राजकुमार आनंद,,,, को उनकी पार्टी, उनकी मां ने बहुत कुछ नहीं दिया!
अपनी मां का सीना चाक करने वाले ऐसे संपोले बेटे जिन पर भ्रष्टाचार, व्याभिचार के आरोप रहे, जनता से अकूत संपत्ति बना ली, को नई बीजेपी ने अपने बेटों को नकार कर क्यों अपनाया?
तेरी मां को अपनी मां कहूं,,, और अपनी मां को? जिसने जन्म दिया, पाला-पोसा, सब कुछ दिया,, उसको लात मारो, वो डायन, उसका वजूद मिटाओ, सरे बाजार आबरु उतारो,
ममगांई कैसे-कैसे लोग नई बीजेपी की पहचान हैं!
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