घोसी की जनता ने बलात्कार के आरोपी को सिर माथे पर क्यों बिठाया !
लखनऊ, मऊ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में जहां भाजपा गठबंधन ने एक नया रिकार्ड बनाते हुए 353 सीटों पर विजय पताका फहराया, वहीं उत्तर प्रदेश के घोसी संसदीय क्षेत्र की जनता ने अपने निर्वतमान सांसद एवं भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर से इस कदर खफा हुई कि उसने बलात्कार के आरोपी अतुल राय (सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन प्रत्याशी) को जीत का तिलक लगाकर संसद के गलियारे में भेज दिया। मजे की बात यह है कि इस जनपद के दो भाजपा विधायक योगी सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं, बावजूद इसके यहां से भाजपा प्रत्याशी को 1 लाख 22 हजार मतों से हार का स्वाद चखना पड़ा।
यह भी पढ़ें: अनुप्रिया पटेल मंत्री नहीं बनी, क्या राजनाथ सिंह ने गलत वायदा किया था
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर स्थित घोसी संसदीय क्षेत्र की। पूर्वांचल को दिशा देने वाले विकास पुरुष कल्पनाथ राय, झारखंडे राय जैसे महान नेताओं ने यहां का नेतृत्व किया। यहां की जनता ने पिछड़ों, दलितों व वंचितों की आवाज उठाने वाले नेताओं को भी सिर माथे पर बिठाया, लेकिन आज आखिर कौन सी मजबूरी थी कि यहां की जनता ने भाजपा प्रत्याशी की बजाय एक विवादित व्यक्ति अतुल राय को जीत का तोहफा दिया। आश्चर्य की बात यह है कि चुनाव के ऐन मौके पर अतुल राय जनता के बीच नहीं गए, बल्कि उनके परिजनों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली और जीत हासिल की।
भाजपा प्रत्याशी की हार की मुख्य वजह:
भाजपा प्रत्याशी एवं निवर्तमान सांसद हरिनारायण राजभर की हार की मुख्य वजह उनकी खुद की निष्क्रियता रही है। उनकी निष्क्रियता की वजह से जनता के साथ साथ भाजपा कार्यकत्र्ताओं में भी गहरी नाराजगी रही। कार्यकत्र्ताओं का आरोप था कि भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर न जनता के बीच जाते थे और न ही कार्यकत्र्ताओं से उनका संपर्क था।
यह भी पढ़ें: नीतीश या अखिलेश यादव, किसका सामाजिक न्याय का मॉडल बेहतर है?
आपसी गुटबाजी:
भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर की निष्क्रियिता की वजह से जिले में भाजपा नेताओं के बीच आपसी गुटबाजी चरम पर थी। दूसरे गुट के नेताओं और उनके समर्थकों ने चुनाव में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। खास बात यह है कि इस संसदीय क्षेत्र की पांच सीटों में से तीन पर भाजपा का कब्जा है। इनमें से दारा सिंह चौहान उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री, फागू चौहान उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन और एक पूर्व मंत्री (श्रीराम सोनकर) हैं। बावजूद इसके यहां पर भाजपा को हार स्वाद चखना पड़ा। गठबंधन प्रत्याशी को हर विधानसभा में जीत मिली।
क्या दारा सिंह चौहान व फागू चौहान ने चुनाव में रूचि नहीं ली:
सवाल तो यह भी उठाए जा रहे हैं कि यहां से दो बार के सांसद और फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने चुनाव में रूचि नहीं ली या उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है, जिसकी वजह से मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी को नकार दिया। यही बात यहां से पांच बार विधायक रहे फागू चौहान पर भी लागू हो रही है। उत्तर प्रदेश ओबीसी आयोग का चेयरमैन होने के नाते फागू चौहान को एक राज्यमंत्री के तौर पर जाना जाता है, बावजूद इसके मतदाताओं पर उनकी अपील काम नहीं आई। खास बात यह है कि अतुल राय यहां पर पहले चरण से ही अपने प्रतिद्वंदी हरिनारायण राजभर से बढ़त बनाए हुए थे।
यह भी पढ़ें: आखिर सपा-बसपा को पिछड़ा वर्ग वोट क्यों दे?
पटेल मतदाताओं में नाराजगी:
घोसी संसदीय क्षेत्र में भाजपा नेता डॉ.एचएन पटेल को नजरअंदाज करना और योगी सरकार के बावजूद उनकी बहू की ब्लॉक प्रमुखी छीन जाने से यहां के लगभग सवा लाख पटेल मतदाताओं में आक्रोश था। खास बात यह है कि यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी चुनाव प्रचार किया था, बावजूद इसके भाजपा प्रत्याशी पराजित हो गए।
क्या सवर्णों ने वोट नहीं दिया:
सवाल तो यह भी उठ रहा है कि क्या यहां के सवर्ण मतदाताओं विशेषकर भूमिहार मतदाताओं ने हरिनारायण राजभर को वोट नहीं दिया। क्या भूमिहार मतदाताओं ने अपने स्वजातीय नेता अतुल राय को बढ़चढ़ कर वोट दिया।
तीसरे नंबर पर रहें सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी:
खास बात यह है कि यहां पर भाजपा बनाम गठबंधन के बीच मुख्य लड़ाई थी। सुहलदेव भारत समाज पार्टी के उम्मीदवार को लगभग 39 हजार वोट मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी एवं पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को चौथे नंबर पर संतोष करना पड़ा। यहां पर लोगों ने 9 प्रत्याशियों से ज्यादा ‘नोटा’ का बटन दबाया।
मिले वोट:
अतुल राय (सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन): 572258
हरिनारायण राजभर, भाजपा : 450240