यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
भारत जैसे विकासशील देश में अंग ट्रांसप्लांट के अभाव में हर साल लाखों मरीज दम तोड़ दे रहे हैं। ऐसे में दिल्ली की एक 68 वर्षीय महिला के परिजनों द्वारा अंगदान करने का निर्णय प्रशंसा का पात्र है। दिल्ली में 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला द्वारा अंगदान कर दो लोगों की जान बचाने का मामला प्रकाश में आया है। 17 फरवरी, 2025 की सुबह 68 वर्ष की महिला को दौरा पड़ा, जिसके बाद वह बेहोश हो गई। उनके परिजनों ने तुरंत उन्हें एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका पहुँचाया, जहाँ पर उनका सीटी स्कैन किया गया। स्कैन में पता चला कि उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ है। मेडिकल टीम की पूरी कोशिश के बाद भी महिला की हालत लगातार बिगड़ती चली गई, और 20 फरवरी, 2025 को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
उनके 72 वर्षीय पति और उनके परिवार ने उनके अंगों का दान करने का साहसी निर्णय लिया। परिवार की अनुमति मिलने के बाद महिला की दोनों किडनी और कॉर्निया डोनेट कर दी गईं। उनके अन्य अंग ट्रांसप्लांट के लिए स्वस्थ नहीं थे। उनकी किडनी नोटो
(नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाईज़ेशन) द्वारा अलॉट कर दी गईं। एक किडनी तो एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका में 51 वर्ष की एक महिला को लगाई गई, वहीं दूसरी किडनी एक अन्य हॉस्पिटल में 40 वर्ष के पुरुष मरीज में ट्रांसप्लांट हुई। इसके इलावा, उनकी कॉर्निया निरामया आई बैंक को डोनेट कर दिया गया।
डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन, चेयरमैन, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसीन, एच सी एम सी टी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका ने कहा, ‘‘वेंटिलेशन सपोर्ट द्वारा मरीज़ की स्थिति को शुरुआती रूप से स्थिर करने के बाद उनका सीटी स्कैन किया गया। इसमें सामने आया कि उन्हें गंभीर रूप से ब्रेन हैमरेज हुआ था। न्यूरोसर्जरी और क्रिटिकल केयर टीमों की देखभाल में गहन इलाज कराने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका और 20 फरवरी, 2025 को शाम 5:32 बजे उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।’’
डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ वीएसएम, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटो-बिलियरी-पैन्क्रियाटिक साईंसेज़, एनसीआर क्लस्टर एवं हेड, मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लांट (मोस्ट) ने कहा, ‘‘अंगदान अत्यधिक उदारता का काम है। यह जीवन के अंत में किसी के प्राण बचाने वाला ऐसा कार्य है, जो अक्सर नजरंदाज हो जाता है। डॉ. अनुराग सक्सेना, क्लस्टर हेड, न्यूरोसर्जरी और क्रिटिकल केयर टीम ने परिवार के इस भावुक क्षण में उन्हें ब्रेन डेथ के सिद्धांत को समझने में मदद की। परिवार के अंगदान करने के निर्णय से अन्य लोगों का जीवन बचाया जा सका।’’
देश में अंगदान की मौजूदा स्थिति:
भारत में हर साल 1.8 लाख लोगों की किडनी फेल हो जाती है। इसके विपरीत, 2023 में केवल 13,426 किडनी ट्रांसप्लांट की जा सकीं। एक अनुमान से भारत में हर साल 25,000 से 30,000 लिवर ट्रांसप्लांट किए जाने की जरूरत है, लेकिन 2023 में केवल 4,491 लिवर ही ट्रांसप्लांट किए जा सके। इसी प्रकार, हार्ट फेल से पीड़ित हजारों लोगों में से केवल 221 लोगों का ही हार्ट ट्रांसप्लांट कराया जा सका। इसके अलावा, देश में हर साल 1 लाख कॉर्निया की जरूरत है, लेकिन केवल 25,000 कॉर्निया ही ट्रांसप्लांट की जाती हैं।

पढ़ते रहिए यूपी80 न्यूज: यूपी की कांति राठौड़ को मिला सिल्वर मेडल
पढ़ते रहिए: कैसे पहुंचे एम्स, बस, ट्र्रेन, टैक्सी अथवा फ्लाइट