यूपी में आदिवासी का दर्जा न मिलने से कोल समाज के विकास में आ रही है रुकावट: अनुप्रिया पटेल
अन्य राज्यों में कोल समुदाय को प्राप्त है अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) का दर्जा
लखनऊ, नई दिल्ली, 10 जुलाई
लोकसभा में अपना दल (एस) की संसदीय दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने बुधवार को लोकसभा में उत्तर प्रदेश के कोल समाज को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) की श्रेणी में शामिल करने का मुद्दा उठाया। श्रीमती पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड जैसे प्रदेशों में कोल समुदाय को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह समुदाय अनुसूचित जाति के अंतर्गत है। उन्होंने कहा कि कोल समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने पर यह समाज भी तेजी से विकास की मुख्य धारा में आएगा।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, चित्रकूट, चंदौली, कौशांबी जैसे जिलों में काफी तादाद में कोल समुदाय निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले कोल समुदाय काफी लंबे समय से समानता के लिए संघर्ष कर रहा है और अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आने के लिए प्रयासरत है। बता दें कि श्रीमती पटेल ने इस मामले को 16वीं लोकसभा में भी उठाया था।
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अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह एक गंभीर विषय है। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान ने कोल समुदाय के ट्राईबल कैरेक्टर (जनजातीय व्यक्तित्व) का अध्ययन करके कोल समुदाय को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु एक ‘सर्वेक्षण रिपोर्ट’ राज्य सरकार को सौंपी थी और वर्ष 2013 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उस रिपोर्ट को संलग्न करते हुए अपनी संस्तुति सहित केंद्र सरकार को आवश्यक कार्यवाही हेतु अनुरोध किया था। लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया गया।
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अनुप्रिया पटेल ने जनजातीय कार्यमंत्री अर्जुन मुंडा से अनुरोध किया कि इस विषय को बिना किसी विलम्ब के संज्ञान में लेते हुए कोल समुदाय को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें।