26 सालों में 1 लाख से बढ़कर 8 लाख तक हुआ क्रीमीलेयर का दायरा
-क्रीमीलेयर के अंतर्गत आने वालों को नहीं मिलता है ओबीसी आरक्षण
नई दिल्ली, 25 जून
महंगाई को देखते हुए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के क्रीमीलेयर के लिए आय का दायरा बढ़ाया जा सकता है। माना जा रहा है कि यह दायरा 10 से 12 लाख रुपए तक हो सकता है। इस बाबत गठित कमेटी की रिपोर्ट को सरकार ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की।
बता दें कि 1993 में मंडल कमिशन लागू हुआ और उस समय क्रीमीलेयर की सीमा एक लाख रुपए निर्धारित की गई। फिलहाल क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख रुपए है। अर्थात इससे ज्यादा आय वाले क्रीमीलेयर के दायरे में आते हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। लेकिन बढ़ती महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के बढ़ते खर्चों को देखते हुए इसमें बढ़ोत्तरी की जरूरत है।
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नॉन क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट जारी हो:
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ओबीसी आरक्षण के लिए नॉन क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट जारी नहीं करने पर नाराजगी जताई है। कमेटी का कहना है कि 1993 में ही इस सर्टिफिकेट को जारी करने का निर्देश की सहमति बनी थी।
14 लाख होना चाहिए क्रीमीलेयर का दायरा:
पिछले दिनों एक कमेटी ने ओबीसी उत्थान के लिए क्रीमीलेयर के दायरे को बढ़ाकर 12 लाख रुपए तक करने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना था।
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हालांकि ओबीसी मामलों के जानकार एवं हाईकोर्ट, लखनऊ में वकालत कर रहे वरिष्ठ वकील नंद किशोर पटेल का मानना है कि क्रीमीलेयर का दायरा कम से कम 14 लाख रुपए होना चाहिए। श्री पटेल का मानना है कि महंगाई बढ़ने से बच्चों की फीस, शिक्षा, परिवहन इत्यादि का खर्च बढ़ गया है। अत: क्रीमीलेयर का दायरा भी बढ़ना चाहिए।