यूपी80 न्यूज, पटना
बिहार में नीतीश कुमार Nitish Kumar के नेतृत्व में पिछले साल महागठबंधन की सरकार द्वारा जातीय जनगणना Caste census के आंकड़ों के आधार पर राज्य में बढ़ाए गए 65 प्रतिशत आरक्षण reservation के दायरे को आज हाई कोर्ट Patna High Cort ने रद्द cancelled कर दिया। पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार के एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी को 65 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को रद्द कर दिया है। अर्थात अब शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व ओबीसी को 65 प्रतिशत आरक्षण की जगह पर 50 प्रतिशत आरक्षण ही मिलेगा।
बिहार सरकार ने 21 नवंबर 2023 को किया था गजट प्रकाशित:
बता दें कि बिहार सरकार ने पिछले साल आरक्षण संशोधन बिल के जरिए आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था। ईडब्ल्यूएस कोटा को मिलाकर बिहार में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत हो गया था। नीतीश सरकार ने 21 नवंबर 2023 को इस बाबत गजट भी जारी कर दिया था।
इसके तहत एससी को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, एसटी को एक प्रतिशत से बढ़़ाकर 2 प्रतिशत, ओबीसी को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत और ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत आरक्षण कर दिया गया था।
ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.अनूप पटेल Dr. Anoop Patel
ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि जाति – जनगणना के मसले पर राहुल गांधी जी मुखर रहे हैं। अब समय गंवाए बिना कांग्रेस शासित तीनों राज्यों में जाति-जनगणना होनी ही चाहिए,,,