यूपी80 न्यूज, लखनऊ
यूपी पुलिस अब किसी भी बच्चे को रात में थाने में नहीं रख सकेगी। आदेश की अनदेखी करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस महानिदेशक विजय कुमार ने पुलिस अधिकारियों को इस बाबत आदेश दिए हैं।
डीजीपी ने पुलिस आयुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि बच्चे को रात में थाने में रखने पर कार्रवाई होगी। राज्य बाल संरक्षण आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। आयोग के पास शिकायत पहुंच रही थीं कि पुलिस बाल अधिकारों की अनदेखी कर रही है। जेसीएल श्रेणी में आने वाले बच्चों को भी रात को थाना में रख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि किशोर न्याय बोर्ड का मतलब ” मूक दर्शक” बनना नहीं है। यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी किशोर को जेल या पुलिस लॉकअप में नहीं रखा जा सकता है। किशोर न्याय बोर्ड यानि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड कानून के साथ संघर्ष में बच्चों यानि जुवेनाइल इन कंफिलक्ट बिद ला से निपटने के लिए प्राधिकरण है। जेसीएल का मतलब एक बच्चा है जिस पर आरोप है कि उसने अपराध किया है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि देश के सभी जेजेबी को किशोर न्याय बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम, 2015 के प्रावधानों का “अक्षरशः पालन” करना चाहिए और बच्चों की सुरक्षा के लिए बने कानून का ” किसी के द्वारा उल्लंघन नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने फरवरी 2020 में यह बात तब कही जब उसका ध्यान दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बच्चों को कथित तौर पर पुलिस हिरासत में रखे जाने और “प्रताड़ित” किये जाने से संबंधित मीडिया रिपोर्ट के जरिए संज्ञान में आए मामले में हस्तक्षेप करते हुए कही थी। पीठ ने स्पष्ट व्याख्या दी थी कि अधिनियम का प्रावधान स्पष्ट रूप से बताता है कि कानून के साथ संघर्ष करने वाले कथित बच्चे को पुलिस लॉकअप में नहीं रखा जाएगा। जेल में बंद नहीं किया जाएगा। एक बार जब बच्चे को जेजेबी के सामने पेश किया जाता है तो जमानत होने का नियम है। अदालत ने 10 फरवरी के अपने आदेश में कहा, “अगर जमानत नहीं दी जाती है तो भी बच्चे को जेल या पुलिस लॉकअप में नहीं रखा जा सकता है और उसे निगरानी गृह या सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए।

