जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1976 से दिया जा रहा भत्ता अब कर्मचारियों को नहीं मिलेगा
लखनऊ, 23 अगस्त
देश में एक ओर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार गंभीरता दिखा रही है तो दूसरी ओर यूपी सरकार ‘हम दो-हमारे दो’ को बढ़ावा देने वाली प्रोत्साहन राशि को खत्म करने का फैसला लिया है। कांग्रेस सरकार ने आपातकाल के दौरान 1976 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारी कर्मचारियों हेतु प्रोत्साहन भत्ता शुरू किया था। केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित इस प्रोत्साहन भत्ता को खत्म कर दिया था।
यह भी पढ़िये: योगी मंत्रिमंडल में ठाकुर और ब्राह्मण मंत्रियों का दबदबा कायम
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वैच्छिक परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ता समेत छह भत्ते खत्म कर दिए हैं। भत्ते खत्म होने से 15 लाख कर्मचारियों में से करीब 8 लाख कर्मचारियों को नुकसान होगा। अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने गुरूवार को इस बाबत शासनादेश जारी किया। संजीव मित्तल ने दलील दी है कि अब इन भत्तों की प्रासंगिकता नहीं रह गई थी।
यह भी पढ़िये: सिद्धार्थनाथ सिंह से स्वास्थ्य एवं नंद गोपाल नंदी से स्टांप पंजीयन छिना
बता दें कि देश में सबसे ज्यादा जनंसख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। चूंकि कृषि आधारित इस राज्य में जनसंख्या का दबाव ज्यादा है तो स्वाभाविक है कि बुनियादी समस्याएं भी इसी राज्य में ज्यादा होंगी। बता दें कि इस बार 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला की प्राचीर से कहा कि देश में बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है।
खत्म किए गए भत्ते:
स्वैच्छिक परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ता:
सीमित परिवार के प्रति जागरूकता के लिए न्यूनतम 210 रुपए और अधिकतम 1000 रुपए तक।
द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता:
100 रुपए व 300 रुपए प्रतिमाह
अब द्विभाषी टाइपिंग की अनिवार्य अर्हता है।
कंप्यूटर संचालन प्रोत्साहन भत्ता:
अब अनिवार्य अर्हता, इसलिए खत्म
स्नतकोत्तर भत्ता:
अधिकतम 4500 रुपए
कैश हैंडलिंग भत्ता:
कैशियर, एकाउंटेंट, स्टोरकीपर को नगदी भंडारों व मूल्यवान वस्तुओं की रक्षा के एवज में
परियोजना भत्ता:
कार्यस्थल के पास आवासीय सुविधा न होने की एवज में दिया जाता था