नरसिम्हा राव सरकार में मंडल आयोग की दो सिफारिशें लागू हुईं
नई दिल्ली, 5 नवंबर
कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में मंडल कमीशन की दो सिफारिशें तो लागू हो गईं, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का रास्ता 2008 के दौरान यूपीए वन सरकार में खुला। यूपीए सरकार पार्ट वन में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह के विशेष प्रयास से उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू हुआ।
यूपीए सरकार पार्ट वन (2004-09) में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बनने पर अर्जुन सिंह ने उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मामला उठाया। इसे लेकर पार्टी नेताओं में मतभेद हुए, खबरें आने लगीं कि उन्हें पद से हटाया जा रहा है। अर्जुन सिंह ने 10 अगस्त 2006 को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा और अनुरोध किया कि अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से संबंधित विधेयक को वर्तमान सत्र में पारित कराने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। अर्जुन सिंह ने 15 अगस्त 2006 को एक और पत्र सोनिया गांधी को लिखा।
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‘सर्वहारा वर्ग की आवाज- अनुप्रिया पटेल के ओजस्वी भाषण’ पुस्तक के अनुसार 21 अगस्त 2007 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति – जानजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण से संबंधित विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। 25 अगस्त 2007 को अर्जुन सिंह ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया और विधेयक संसद में पारित हो गया। सरकार ने वर्ष 2007 में उच्च शिक्षा संस्थानों में पिछड़े वर्ग के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया। साथ ही आश्वासन दिया कि पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटें बढ़ाने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सीटों की संख्या में कोई कमी नहीं आएगी।
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लेकिन इसके खिलाफ एक बार फिर व्यापक स्तर पर विरोध शुरू हो गया। उच्चतम न्यायालय में बहुत सी याचिकाएं दायर की गईं। 10 अप्रैल 2008 को दिए गए फैसले में उच्च्तम न्यायालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को वैध ठहराया, लेकिन संपन्न लोगों को यानी ‘क्रीमी लेयर’ को इस दायरे से बाहर रखा।
लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं आरक्षण के जानकार नंद किशोर पटेल कहते हैं कि लंबे उतार चढ़ाव, ढेरों आंदोलन के बाद 1993 में ओबीसी के लिए सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण और 2008 में अर्जुन सिंह के विशेष प्रयास से उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया।
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हालांकि नंद किशोर पटेल कहते हैं कि मंडल आयोग की सिर्फ 2 सिफारिशों पर अमल किया गया। बाकी की सिफारिशें अभी भी धूल खा रही हैं या कुछ राज्यों ने अपनी तरफ से आंशिक रूप से उन सिफारिशों पर अमल किया है। आरक्षण का कुल मकसद यह रहा है कि जिन जातियों, समुदायों, कार्यसमूहों को सदियों से उसके जातीय खांचे में बांधकर उसके काम आरक्षित कर दिए गए, उसे भी सामान्य नागरिक के रूप में जीने, प्रशासन में उचित हिस्सेदारी, शिक्षा में उचित हिस्सेदारी मिल सके।