केंद्र में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने से जेडीयू मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ
लखनऊ, 22 अगस्त
सत्ता के शीर्ष पर आसीन होने के लिए भाजपा ने भले ही सहयोगी दलों के साथ एक बड़ा कुनबा तैयार किया हो, लेकिन उत्तर प्रदेश एवं केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार के बाद से अब भाजपा ने सहयोगी दलों दूरी बनाना शुरू कर दिया है। केंद्र में जनता दल (यूनाइटेड) और अपना दल (एस) को उचित हिस्सेदारी न देने के बाद उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ने सहयोगी दलों सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल (सोनेलाल) को दरकिनार कर दिया। भाजपा ने जहां सुभासपा से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है, वहीं अपना दल (एस) को भी साइड करना शुरू कर दिया है।
वैसे तो उत्तर प्रदेश में सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4 विधायक और अपना दल (एस) के 10 विधायक (9 विधायक और 1 एमएलसी) और दो सांसद हैं, लेकिन वर्तमान में अपना दल से एकमात्र जय कुमार सिंह जैकी योगी सरकार में राज्यमंत्री के तौर पर शामिल हैं।
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बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व ने अपना दल (एस) की बजाय बीजेपी से जुड़े पटेल नेताओं को आगे बढ़ाने की रणनीति पर आगे चल रही है। इसी के तहत पार्टी ने एक महीना पहले स्वतंत्रदेव सिंह (कुर्मी बिरादरी) को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और गुजरात की पटेल नेता एवं मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश से स्थानांतरित करते हुए उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। इसी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए भाजपा ने अब मिर्जापुर के मड़िहान विधानसभा के कुर्मी विधायक रमाशंकर पटेल को राज्यमंत्री बनाया है। चूंकि अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद हैं।
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हालांकि अपना दल (एस) के रणनीतिकारों की मानें तो उनकी भाजपा के पटेल नेताओं से कोई तुलना नहीं है। क्योंकि अपना दल (एस) सामाजिक न्याय की बात करता है। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सड़क से लेकर संसद तक समाज के कमेरा, वंचित तबके की आवाज को बुलंद करने के लिए सामाजिक न्याय के मुद्दों को मजबूती से उठाती हैं।
ओमप्रकाश राजभर की जगह अनिल राजभर:
भाजपा ने राजभर समाज से आने वाले अनिल राजभर को प्रमोट करके स्वतंत्र प्रभार से कैबिनेट मंत्री बनाया है। वाराणसी के शिवपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अनिल राजभर को सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर की कैबिनेट से विदाई के बाद कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
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उधर, ओमप्रकाश राजभर का बेटा एवं सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार से ये साफ हो गया है कि भाजपा तमाम क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करना चाह रही है, जबकि 2017 के चुनाव में भाजपा के साथ सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (एस) ने मिलकर सरकार बनाया था।