दो महीने से ठप है मऊ की रफ्तार, सब्जी व ठेला लगाने को मजबूर हैं बुनकर
यूपी80 न्यूज, मऊ
मऊ Mau शहर के मुंशीपुरा में लूम चलाने वाले बुनकर फिरोज अख्तर पिछले दो महीने से घर बैठे हैं। बार-बार कर्ज लेने के बावजूद घर का खर्च न चलने पर फिरोज अपने एक बच्चे को उसकी नानी के पास भेज दिए हैं। आर्थिक संकट के बावजूद फिरोज का परिवार मानवता की मिसाल है। उनकी पत्नी घर पर मास्क बनाकर अनेक जरूरतमंदों को बांट चुकी हैं। दो दिन पहले एक जरूरतमंद परिवार उनके दरवाजे पर भोजन मांगने आया तो फिरोज खाना बनाने के लिए अपने पास से चावल दे दिए।
मुंशीपुरा के ही 22 वर्षीय तारिक अपने तीन भाईयों एवं माता-पिता के साथ पॉवर लूम चलाता है। पिछले दो महीने से काम ठप होने से घर की माली हालत खराब हो गई है। किसी तरह से घर का खर्चा चल रहा है।
यही हाल घासीपुरा के जावेद अख्तर का है। जावेद अपने घर पर ही लूम लगाए हैं। परिवार में पत्नी के अलावा तीन बच्चे हैं। जावेद कहते हैं कि इस समय समझ नहीं आ रहा है कि घर का कैसे खर्च चलेगा। हालांकि जावेद यह भी कहते हैं कि इन दिनों अमीर मुस्लिम भाईयों द्वारा किए गए सहयोग (जकात) से कई बुनकर भाईयों के परिवार का पोषण हो रहा है। पिछले दो महीने से न तो कच्चा माल मिला और न ही तैयार माल की सप्लाई हुई, क्योंकि आवागमन पूरी तरह से ठप है।
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इस्लामपुरा के मो.आसिम भाई कहते हैं कि दो महीने से काम ठप होने की वजह से सेठ से लगभग 8 हजार रुपए कर्ज ले चुके हैं। रमजान में जकात से जीवन चल रहा है। सरकार को हम बुनकरों के बारे में भी सोचना चाहिए।
पूर्वांचल में स्थित मऊ ‘एक जिला-एक उत्पाद’ में चयनित है। यहां का साड़ी उद्योग पूरे देश में प्रसिद्ध है। नगर के पूर्व चेयरमैन एवं बुनकरों की आवाज उठाने वाले अरशद जमाल Arshad Jamal का कहना है कि यहां पर लगभग एक लाख के करीब लूम चलते हैं। ऑन रिकार्ड यहां पर पॉवर लूम के 32 हजार कनेक्शन हैं। कई घरों में एक कनेक्शन पर 10-10 लूम चलते हैं। लॉकडाउन से मऊ के लगभग लाखों बुनकर भाईयों का परिवार प्रभावित है। आज यहां पर अधिकांश बुनकर ठेला और सब्जी बेचने को मजबूर हैं।
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रिलीफ कमेटियां मददगार:
अरशद जमाल कहते हैं कि जनपद में जगह-जगह पर सहायता समितियां बनी हैं, जो बुनकरों, जरूरतमंदों का सहयोग कर रही हैं। रमजान में जकात भी जरूरतमंदों के लिए राहत भरा है। आज बुनकरों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। सरकार को तत्काल इस मामले में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
रोजाना 100 करोड़ रुपए का काम प्रभावित:
मऊ में साड़ी का काम बड़े पैमाने पर हैं। यहां रोजाना 100 करोड़ रुपए का प्रोडक्शन होता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से पूरा काम ठप है। लॉकडाउन के अलावा बुनकरों को बिजली की मार भी पड़ी है। पहले बुनकरों को फ्लैट रेट पर सस्ती बिजली मिलती थी, लेकिन अब सरकार ने सामान्य दर पर बिजली आपूर्ति का नियम लागू कर दिया है। सरकार का यह फैसला बुनकरों के लिए काफी नुकसानदायक माना जा रहा है।
राहत पैकेज के लिए सर्वे का निर्देश :
बुनकरों को भी राहत पैकेज में शामिल करने के लिए सरकार ने फैसला किया है। इसलिए बुनकरों का सर्वे कराने के लिए उत्तर प्रदेश के रेशम हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को बुनकरों का विस्तृत डाटा बैंक तैयार करने का निर्देश दिया है। इसमें बुनकरों का आधार नंबर और बैंक अकाउंट नंबर भी शामिल किया जाएगा। लेकिन यह कार्य कब तक पूरा होगा और बुनकरों को राहत कब मिलेगी, यह बड़ा सवाल है!
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