चिनहट की लड़ाई में राजा जयलाल सिंह ने ब्रिटानिया हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी थी
यूपी80 न्यूज, आजमगढ़
1857 की क्रांति के नायक अतरौलिया नरेश राजा जयलाल सिंह के नाम पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया है। अमृत महोत्सव के तहत राजा जयलाल सिंह के नाम पर जारी डाक टिकट लेकर डाक विभाग के अधिकारी सोमवार को अतरौलिया स्थित बौड़रा गांव पहुंचे। उन्होंने शहीद राजा जयलाल सिंह के वंशज राजेंद्र प्रताप सिंह को डाक टिकट के साथ अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
बता दें कि अवध के सेनापति राजा जयलाल सिंह के नाम डाक टिकट जारी करने हुए तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने 10 जुलाई 2018 में तत्कालीन केंद्रीय संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा से मुलाकात कर अनुरोध किया था एवं राजा जयलाल सिंह की जीवनी भेंट की थी।
डाक टिकट जारी करने के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर पोस्ट मास्टर जनरल गोरखपुर विनोद कुमार वर्मा तथा विशिष्ट अतिथि प्रवर अधीक्षक डाकघर योगेंद्र मौर्य उपस्थित रहें। इनके अलावा राजा के वंशज अशोक कुमार सिंह, भपेंद्र सिंह, विशाल, ऋषभ सिंह (बौंडरा स्टेट) के अलावा डॉ.कौशल किशोर मिश्रा, युवा समाजसेवी पटेल नवरत्न वर्मा, स्वराज पटेल, बृजेश पटेल, दीपक वर्मा, अंकित कुमार गुप्ता (जिला पंचायत सदस्य), जितेंद्र सिंह गुड्डू, रामप्यारे यादव, प्रधान रामलगन यादव, चंद्रजीत तिवारी, सुनील पांडेय, रमेश सिंह रामू, दिलीप पांडेय, जगदीश यादव, जनार्दन यादव इत्यादि उपस्थित रहे।
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राजा जयलाल सिंह जीवन परिचय:
1857 की क्रांति के दौरान अमर शहीद राजा जयलाल सिंह ने अवध में ब्रिटानिया हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी थी। राजा जयलाल सिंह का जन्म 1803 में राजा दर्शन सिंह ‘गालिब जंग’ के संपन्न कुर्मी राजकुल में ग्राम बदौला स्टेट, पो.अतरौली, जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित ‘फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश 1858’ नामक ग्रंथ में राजा साहब की शहादत के बारे में प्रमुखता से प्रकाश डाला गया है।
अंग्रेजी हुकूमत को कई बार दी शिकस्त:
1857 के रण बांकुरे राजा जयलाल सिंह ने राज्य के क्रांतिकारियों को संगठित कर उनमें देशभक्ति का अद्भुत जोश का संचार किया। उन्होंने 30 जून 1857 को लखनऊ से 6 मील दूर चिनहट नामक स्थान पर अंग्रेजों को भारी शिकस्त दी। राजा जयलाल सिंह ने अंग्रेजों को कई बार बुरी तरह से पराजित किया। 24 जून 1857 को राजा जयलाल सिंह ने विदेशी सेना की दो टुकड़ी को मौत के घाट उतार दिया।
बाद में आपने बाराबंकी के जंगलों में छिपकर गुरिल्ला युद्ध के जरिए अंग्रेजी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया। अंग्रेजों ने आपको छल पूर्वक पकड़ लिया। 1 अक्टूबर 1859 को भारत के सपूत राजा जयलाल सिंह को लखनऊ में फांसी दे दी गई। लखनऊ में जहां उन्हें फांसी दी गई थी, वहां पर अमर शहीद राजा जयलाल सिंह पार्क एवं उनकी आदम कद मूर्ति की स्थापना भी गई है।
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