–मोदी कैबिनेट में अनुप्रिया पटेल को शामिल न करना और अपने कैडर के नेताओं को आगे बढ़ाना इसी ओर इशारा कर रहा है
दिल्ली / लखनऊ, 20 जुलाई
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने महज एक सप्ताह के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में दो बड़े बदलाव किए हैं। भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर कुर्मी जाति (पटेल) से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्र देव सिंह को नियुक्त किया है और शनिवार को केंद्र की भाजपा सरकार ने पटेल समाज से ताल्लुक रखने वाली महिला नेता आनंदीबेन पटेल को राज्यपाल के तौर पर उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है। दूसरी ओर, सड़क से लेकर संसद तक पिछड़ों, वंचितों, कमेरों की लगातार आवाज उठाने वाली सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया। ये दोनों बातें अपने आप में बहुत कुछ कहती हैं। ऐसा लग रहा है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व ओम प्रकाश राजभर की तरह अनुप्रिया पटेल को भी नजरअंदाज करते हुए उन्हें घेरने के मूड में है।
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चूंकि डॉ.सोनेलाल पटेल की बेटी, अनुप्रिया पटेल अपने पिता की राह पर चलते हुए सामाजिक न्याय के मुद्दों को लगातार उठा रही है। संसद के अंदर और बाहर पिछड़ों, एससी-एसटी के मुद्दों को लगातार उठाने की वजह से अनुप्रिया पटेल की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। बता दें कि पिछले दिनों अनुप्रिया पटेल ने मांग की थी कि प्रत्येक जिले में डीएम अथवा एसपी में से एक महत्वपूर्ण पद पर ओबीसी, एससी अथवा एसटी समाज का अधिकारी हो। इसके अलावा प्रत्येक जिला के आधे थानेदार आरक्षित वर्ग से हों। संविदा एवं आउटसोर्सिंग के जरिए होने वाली भर्तियों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू किया जाए। सत्ता में रहते हुए सामाजिक न्याय की बात करना शायद भाजपा शीर्ष नेतृत्व को रास नहीं आ रहा है। अनुप्रिया पटेल की लोकप्रियता से भाजपा सहित विपक्ष भी वाकिफ है।
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ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अनुप्रिया पटेल को घेरने के लिए भाजपा ने उत्तर प्रदेश में बड़ा बदलाव करते हुए दो प्रमुख पदों पर अपने कैडर के पटेल नेताओं को आगे बढ़ा रही है। बता दें कि इसी तरह ओम प्रकाश राजभर की बजाय भाजपा ने अपने राजभर नेताओं को पिछले एक साल से बढ़ाना शुरू कर दिया था।
पटेल समाज की नाराजगी भी हो सकती है प्रमुख वजह:
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 27 कुर्मी विधायक और अपना दल (एस) के 4 कुर्मी विधायक हैं। इतनी तादाद में विधायक होने के बावजूद योगी कैबिनेट में मात्र एक विधायक मुकुट बिहारी वर्मा को शामिल किया गया। इसके अलावा स्वतंत्रदेव सिंह को परिवहन मंत्री (स्वतंत्र) बनाया गया, लेकिन अब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है। इसके अलावा अपना दल (एस) कोटे से एक मात्र विधायक जय कुमार सिंह जैकी को कारागार राज्यमंत्री बनाया गया। परिणामस्वरूप पटेल समाज में खासा नाराजगी है। पटेल समाज से ताल्लुक रखने वाले हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील नंद किशोर पटेल कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से लेकर केंद्र की मोदी सरकार में प्रदेश के पटेल मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बावजूद इसके पटेल समाज को प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार में नजरअंदाज किया गया। इसके अलावा आरक्षण को लेकर वर्तमान सरकार का रवैया ठीक नहीं है। ऐसे में पटेल समाज की नाराजगी स्वाभाविक है। और इसी नाराजगी को कम करने के लिए शायद इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर पटेल नेताओं को बिठाया गया है।
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आजमगढ़ के रौनापार निवासी सामाजिक कार्यकत्र्ता नागेंद्र सिंह कहते हैं कि इस सरकार ने पटेल समाज सहित पिछड़ों के हितों का ख्याल नहीं रखा। सड़क से लेकर संसद तक अनुप्रिया पटेल ओबीसी, वंचितों की समस्याओं को प्रमुखता से रखती हैं, लेकिन अब उन्हें भी ये सरकार किनारे करने में लगी है, ताकि वंचितों की आवाज दब जाये और इनकी जगह पर अपने नेताओं को आगे बढ़ा रही है, लेकिन सबको मालूम है कि ये दोनों नेता सामाजिक न्याय के मुद्दों पर मौन रहेंगे।