बेरोजगारी के खिलाफ हल्ला बोल यात्रा ऐतिहासिक, हम देशव्यापी आंदोलन के मुहाने पर खड़े हैं : प्रो आनंद कुमार
यूपी80 न्यूज, पटना
बेरोजगारी के खिलाफ देशवासियों को जगाने के लिए बिहार के युवाओं ने हुंकार भर दी है। युवा नेता अनुपम के नेतृत्व में 16 अगस्त से शुरू हुई बेरोजगारी के खिलाफ हल्लाबोल यात्रा का समापन रविवार को पटना में विशाल युवा सम्मेलन से हुआ। सम्मेलन में देश में व्यापक युवा आंदोलन खड़ा करने का आज संकल्प लिया गया। ‘युवा सम्मेलन’ में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में नारा लगाया कि “आत्महत्या नहीं, अब आंदोलन होगा!”
सम्मेलन में लगभग 30 जिलों के प्रतिनिधियों समेत जाने-माने समाजवादी नेता प्रो.आनंद कुमार, पूर्व सीआईसी यशोवर्धन आजाद, बैंक यूनियन के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार, पूर्व पत्रकार और जेपी सेनानी दिनेश कुमार, छात्रों को कोचिंग दे रहे सुधीर सिंह, एसके झा के अलावा कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
युवा हल्लाबोल के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा, राष्ट्रीय महासचिव व यात्रा प्रभारी प्रशांत कमल, राष्ट्रीय महासचिव रजत यादव, गुजरात के नेता अर्जुन मिश्रा समेत कई पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे।
सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि बेरोज़गारी जीवन मरण का सवाल बन चुका है। युवा वर्ग अपना भविष्य अंधकार में देखकर हताश है। भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। लेकिन युवा देश में युवाओं की आत्महत्या आम बात होती जा रही है। यह देश का सबसे बड़ा मुद्दा होना चाहिए था। संसद में इस पर बहस होनी चाहिए थी। टीवी-अखबारों में सवाल जवाब होना चाहिए था। लेकिन सच्चाई ठीक इसके उलट है। युवाओं की पीड़ा को विमर्श से ही गायब कर दिया गया है। इन्हीं कारणों से युवाओं में भारी असंतोष है जो आक्रोश का रूप लेकर समय समय पर फूटता है। बेरोज़गारी एक राष्ट्रीय आपदा बन चुकी है और बिहार इसका केंद्र है।
प्रो आनंद ने कहा कि आज ज़रूरत है कि युवाओं को हताशा से निकाल कर उम्मीद की किरण दी जाए। देश को निराशा से समाधान की तरफ ले जाया जाए। बेहतर भविष्य और रोज़गार के लिए सरकार से भरोसा चाहिए। यह भरोसा है ‘भारत रोज़गार संहिता’ जो बेरोज़गारी के खिलाफ शुरुआती कदम हो सकते हैं।
पूरे देश में जाएगी यात्रा:
‘भारत रोजगार संहिता’ के तीन मुख्य बिंदु हैं:
1) सरकारी भर्तियों में ‘मॉडल एग्जाम कोड’ लागू करके 9 महीने में विज्ञापन से नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करो
-रिक्त पड़े सभी सरकारी पदों को तुरंत भरो
-पेपर लीक, धांधली या देरी जैसे मामलों में स्पष्ट जवाबदेही तय हो
-मॉडल कोड का पालन न होने पर अभ्यर्थियों को मुआवजा मिले
2) हर नागरिक को रोजगार की गारंटी हो
-न्यूनतम आय पर काम करने को तैयार हर वयस्क को उनके घर के नजदीक रोजगार दो
-इससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगी और करोड़ों परिवार गरीबी से बाहर आएंगे
3) देश की संपत्तियों को बेचकर बड़े धन्नासेठों को फायदा देना बंद हो
-स्कूल अस्पताल को गरीबों की पहुँच से बाहर करने वाली नीतियां बंद करो
-सरकारी बैंक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इन्हें बेचने की बजाए स्वायत्तता दो
-रेलवे को बेचने की बजाए खाली पदों पर जल्द भर्ती करो
-सेना विरोधी ‘अग्निपथ’ स्कीम वापिस लो और नियमित नौकरियों में ठेका प्रथा बंद करो
देश की स्थिति चिंतनीय:
अनुपम का कहना है कि देश में आज डर का माहौल बनाया जा रहा है। फिल्मकार डरे हुए हैं कि अगर सरकर पर कोई टिप्पणी कर दी तो अगली फिल्म रिलीज नहीं होगी। उद्योगपति डरे हैं कि सत्ताधारी पार्टी की आलोचना कर दी तो धंधा नहीं कर पाएंगे। मीडियाकर्मी डरे हैं कि सवाल पूछ दिया तो चैनल से छुट्टी हो जाएगी और यूट्यूब तक सीमित रह जाएंगे। नौकरी करने वाले डरे हैं कि कुछ बोला तो प्रोमोशन रुक जाएगा। हर कोई जो डरा है उसके पास कुछ न कुछ खोने को है। जबकि बेरोज़गार युवाओं के पास खोने को कुछ है ही नहीं और पाने को सब कुछ है। पूरा भविष्य दांव पर लगा है। इसलिए युवाओं को तो किसी से डरना ही नहीं चाहिए। देश के जो आज हालात हैं, उन्हें सुधारने का काम युवा वर्ग ही करेगा।