बीजेपी BJP की सबसे पुरानी सहयोगी अकाली दल Shiromani Akali Dal कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर Harsimrat Kaur Badal ने मोदी मंत्रिमंडल Modi Cabinet से दिया इस्तीफा
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
कृषि के तीन अध्यादेशों को लेकर किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi के जन्मदिन के अवसर पर एनडीए NDA में बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल कोटे से केंद्र में मंत्री हरसिमरत कौर Harsimrat Kaur Badal ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उधर, किसान संगठनों ने इन अध्यादेश के विरोध में शहीद-ए-आजम भगत सिंह Bhagat Singh की जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय बंद का ऐलान किया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी AIKSCC) की वर्किंग ग्रुप की बैठक में यह फैसला किया गया। बता दें कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने 6 जून को इन तीन कृषि अध्यादेशों को लाया था।
किसान संगठनों ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के 114वें जन्मदिन के अवसर पर इन तीन कानूनों, नए बिजली बिल 2020 तथा डीजल व पेट्रोल के दाम में तेज वृद्धि के केन्द्र सरकार के कारपोरेट पक्षधर किसान विरोध कदमों का विरोध करने का फैसला लिया है। ये तीन कानून पूरी तरह से फसलों की सरकारी खरीद पर रोक लगा देंगे, जिससे फसलों के दाम की सुरक्षा समाप्त हो जाएगी, क्योंकि निजी मंडियां बनाए जाने के बाद और आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से अनाज, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज हटाए जाने के बाद इन वस्तुओं के दाम व व्यापार पर सरकार नियामन समाप्त हो जाएगा।
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किसान संगठन सहमे हुए क्यों हैं:
एआईएससीसी के संयोजक सरदार वीएम सिंह का कहना है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह आश्वासन कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगी, धोखाधड़ी और झूठ है, क्योंकि भाजपा सरकार द्वारा बनाए गये शान्ता कुमार आयोग ने साफ-साफ संस्तुति की थी कि केवल 6 फीसदी किसान एमएसपी का लाभ उठाते हैं, इसे समाप्त कर देना चाहिए। एफसीआई और नाफेड द्वारा खरीद बंद कर देना चाहिए और राशन में अनाज देना समाप्त कर देना चाहिए।
दुनिया के सभी देशों में किसानों की फसल के दाम की सुरक्षा केवल सरकारें देती हैं, कम्पनियां नहीं। कम्पनियां केवल सस्तें में खरीद कर मंहगा बेचती हैं और मुनाफा कमाती हैं।
ठेका खेती से बढ़ेगी मुसीबत:
किसान संगठनों का मानना है कि भाजपा शासन में किसानों की कर्जदारी बढ़ी है और लागत के दाम के बढ़ाए जाने से, जिसमें बिजली व डीजल के दाम सरकार बढ़ा रही है और बाकी सामान कम्पनियां बेच रही हैं, यह कर्जदारी और बढ़ रही है। अब ठेका खेती में किसानों की जमीन को शामिल करके कम्पनियां नए कानून के अनुसार उन्हें और मंहगे दाम पर खाद बीज खरीदने के लिए मजबूर करेंगी।