अनूप कुमार सिंह, बाराबंकी
उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी शिक्षक डिजिटल माध्यमों को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से शिक्षक काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते हुए इस आदेश के खिलाफ अपने रोष शासन के सामने जता रहे हैं। इसी बीच बाराबंकी में तीन दिन तक हाजिरी नहीं लगाने वाले जूही चावला को वेतन रोकने के निर्देश जारी किए गए हैं। बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि 11 जुलाई से डिजिटल अटेंडेंस दर्ज कराने वाले स्टाफ-कर्मचारी पर्ल विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी के इस आदेश के बावजूद भी जिले में शिक्षकों और शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
निराश हो रहा है कि बाराबंकी में परिषदीय स्तर पर डिजिटल हाजिरी नहीं करने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार देव पांडेय ने जिले के 9 हजार युवाओं और शिक्षामित्रों का तीन दिन का वेतन रोक दिया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इन शिक्षकों को चेतावनी भी दी है कि अगर 11 जुलाई से अपना डिजिटल अटेंडेंस दर्ज नहीं किया, तो संबंधित शिक्षकों और कर्मियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि 5 जुलाई को बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय इकाइयों में डिजिटलीकरण के निर्देश दिए गए थे। बाराबंकी बेसिक शिक्षा अधिकारी के 11 जुलाई से डिजिटल अटेंडेंस दर्ज नहीं करने वालों पर विभागीय कार्रवाई के आदेश के बाद भी शिक्षक-शिक्षिकाओं का विरोध प्रदर्शन 11 जुलाई को भी जारी हो रहा है। शिक्षक-शिक्षिका हाथ पर काली पट्टी बांधकर इस आदेश के खिलाफ अपना रोष जाते रहते हैं। बता दें कि बाराबंकी में प्राथमिक शिक्षक संघ, राष्ट्रीय शिक्षा महोत्सव और उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ के बैनर तले तेलंगाना विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। महिला शिक्षक संघ के प्रस्ताव पर महिला शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर काली डीपी और हाथ पर काली पट्टी बांधकर इस आदेश के खिलाफ अपने रोष शासन के सामने जता रहे हैं।
बांकी ब्लॉक क्षेत्र में महिला पर्यवेक्षक ने बताया कि हम लोग ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं। महिला आर्टिस्ट ने बताया कि आज 11 तारीख को भी हम लोग परफॉर्म कर रहे हैं। हम लोग पहले की तरह अपने अटेंडेंस रजिस्टर पर ले रहे हैं। महिला शिक्षिका ने बताया कि मैं एक बात स्पष्ट करवाना चाहती हूं कि हम लोग ऑनलाइन अटेंडेंस का विरोध नहीं कर रहे हैं। हमारा विरोध कुछ चीजों के लिए है जो हमारे बरसों से लेती हैं वह हमारी खपत पूरी की जाती है। महिला शिक्षिका ने आगे बताया कि हम लोग शहरी क्षेत्र में हैं, लेकिन हमारे कुछ विद्यालय घाघरा नदी के किनारे जिले से 60 से 70 किलोमीटर दूर हैं। वहां पर अध्यापकों को पहुंचने में काफी परेशानियां होती हैं। हमारे कुछ शिक्षक इतनी दूरी तय करने के बाद भी दो-तीन किलोमीटर पैदल चलकर लंबवत तक पहुंचते हैं। इस दौरान विपरीत मौसम में उन्हें समय लग जाता है। इन सब समस्याओं को देखते हुए इस आदेश में कुछ शिथिलता दी जाती है।