धर्मगुरु ने कहा,” इस घटना से बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही है”
अमृतसर, 11 सितंबर
ब्रिटेन के (कैटरबरी) ईसाई धर्मगुरु जस्टिन पोर्टल वेल्बी ने जालियांवाला बाग हत्याकांड पर दु:ख व्यक्त किया है। 100 साल पहले पंजाब के अमृतसर स्थित जालियांवाला बाग में घटी इस घटना पर जस्टिन वेल्बी ने दु:ख जताते हुए कहा कि इस घटना पर बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है। उन्होंने यह बात विजिटर बुक में लिखी है। आर्क विशप ने जालियांवाला बाग का दौरा के दौरान शहीदी लाट पर दंडवत प्रणाम कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
ईसाई धर्मगरु जस्टिन वेल्बी मंगलवार को अमृतसर गए थे। उन्होंने कहा कि शहीदों की यह यादगार सदैव जीवित रहेगी। 100 साल पहले घटित इस अपराध के लिए उन्हें खेद है।
13 अप्रैल 1919 में बैसाखी का दिन:
अंग्रेजों ने फरवरी 1919 में रौलट एक्ट लागू किया। अंग्रेजों के इस कानून के खिलाफ पूरे देश में धरना प्रदर्शन हुआ। 10 अप्रैल को अमृतसर में सैफुद्दीन किचलू और डॉ.सत्यपाल की गिरफ्तारी के खिलाफ टाउन हाल और पोस्ट ऑफिस पर हमले किए गए। टेलीग्राफ तार काट दिए गए। प्रशासन ने सेना बुला लिया और नगर का प्रशासन जनरल डायर के हाथ सौंप दिया गया। डायर ने जनसभाएं आयोजित करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
13 अप्रैल को बैसाखी के दिन जालियांवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया। इसमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हुए, जो गांवों-कस्बों से बैसाखी मेले में भाग लेने आए थे। जनरल डायर सभास्थल पर पहुंचा और बगैर किसी चेतावनी के निहत्थी जनता पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। 10 मिनट तक निहत्थी भीड़ के सीने छलनी होते रहे। सभास्थल के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें थीं। ऐसे में वहां पर उपस्थित अधिकांश निर्दोष जनता अंग्रेजी सेना की गोलियां का शिकार बनी।