कहीं खरीदार नहीं तो कहीं सब्जी की तुड़ाई की मजदूरी भी नहीं मिल रही
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
मिर्जापुर के अहरौरा क्षेत्र के सरिया गांव के किसान मिठाई लाल तीन दिनों से अहरौरा सब्जी मंडी में बैगन का खरीदार ढूंढ नहीं रहे थे, खरीदार नहीं मिलने पर उन्होंने वाराणसी-शक्तिनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के ओवरब्रिज से नीचे बैगन फेंक कर घर चले गए। इस क्षेत्र की सब्जियां इन दिनों जनपद में अदलहाट से आगे नहीं जा रही हैं।
इसी तरह नेपाल की सीमा से सटे महाराजगंज जनपद के नौतनवा सब्जी मंडी में किसान अमरनाथ को एक क्विंटल लोबिया महज 100 रुपए में बेचनी पड़ी। अमरनाथ ने पत्नी व बच्चों के साथ भोर से ही लोबिया तोड़ा, लेकिन उसे सब्जी की कीमत तो दूर मजदूरी भी नहीं निकली। नेपाली बाजार पर आश्रित यह मंडी इन दिनों पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ExPM Chandrashekhar के पैतृक गांव इब्राहिमपट्टी Ibrahimpatti के पास मऊ Mau जनपद के ग्राम हसनपुर (गोंठा-बारी) निवासी रामनिवास पटेल एक प्रगतिशील किसान हैं। सब्जी की खेती से उन्होंने आसपास के गांवों के युवकों को पलायन से बचाया है। लेकिन लॉकडाउन Lockdown की वजह से रामनिवास खुद आर्थिक संकट में फंस गए हैं। इस बार उन्हें सब्जी की खेती में लगभग 3 लाख रुपए का घाटा हो चुका है। रामनिवास कहते हैं कि मधुबन के कटघरा मोड़ स्थित बड़ी मंडी में इन दिनों सब्जियों के खरीदार नहीं हैं। बहुत कम रेट पर सब्जियां बिक रही हैं। मंडी में लौकी डेढ़ से दो रुपए प्रति किलो, करैली 4 रुपए प्रति किलो, बोरो 2 रुपए प्रति किलो, भिंडी 3 रुपए प्रति किलो किसानों को बेचना पड़ रहा है। रामनिवास कहते हैं कि लॉकडाउन की सर्वाधिक मार किसानों पर पड़ी है। पूर्वांचल में छोटी जोत के अधिकांश किसान हैं। यहां के किसान खेती के लिए बीमा वगैरह नहीं कराते हैं। सरकार को इन किसानों की समस्या की ओर भी देखना चाहिए।
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कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पूरे देश में लागू लॉकडाउन का सर्वाधिक असर किसानों और मजदूरों पर पड़ा है। ओलावृष्टि व बेमौसम बारिश ने प्रदेश के किसानों की पहले ही कमर टोड़ दी और बाद में लॉकडाउन ने किसानों की हालत दयनीय कर दी। सब्जी की खेती करने वाले किसानों की स्थिति और भी खराब है। ट्रांसपोर्ट ठप होने की वजह से सब्जियां बाहर नहीं जा रही हैं। ऐसे में किसान कौड़ियों के भाव सब्जियां बेचने को मजबूर है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं कि सरकार को किसानों की माली हालत के बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। किसानों की स्थिति बहुत ही खराब है। लोन से किसानों का कभी भला नहीं होने वाला है। किसानों के लिए विशेष पैकेज घोषित किया जाए।
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