केके वर्मा, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में जल संकट और भूगर्भ जल के अनियंत्रित दोहन को रोकने के लिए राज्य सरकार ने सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए अनुमति अनिवार्य कर दिया है। उत्तर प्रदेश में सबमर्सिबल पंप लगाने की सोच रहे हैं तो पहले प्रशासन से अनुमति यानि एनओसी प्राप्त करना होगा। यह कदम भूगर्भ जल के संरक्षण के उद्देश्य से उठाया गया है ताकि जल के स्रोतों का अत्यधिक उपयोग न हो। पानी की उपलब्धता का संतुलन बना रहे।
गौर तलब है कि उत्तर प्रदेश में जल स्तर की स्थिति चिंताजनक है। भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन न केवल जल स्रोतों को समाप्त कर रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी प्रभावित कर रहा है। समस्या को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया है कि हर व्यक्ति या संस्था जो सबमर्सिबल पंप लगाना चाहती है, वह पहले स्थानीय जल विभाग से अनुमति प्राप्त करे।
मुरादाबाद के डीएम ने तो साफ कह दिया, “बिना एनओसी के कोई व्यक्ति या संस्था पंप लगाता है और जल का दोहन करती है तो उसे भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।”
इस आदेश का पालन सभी क्षेत्रों में किया जाएगा, चाहे वह औद्योगिक प्रतिष्ठान, होटल, लॉज, आवासीय कॉलोनियां, निजी अस्पताल, मॉल या वॉटर पार्क हो। कारोबारियों, संस्थाओं और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा और भूगर्भ जल विभाग से एनओसी प्राप्त करनी होगी। यह प्रक्रिया सरल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जा सकती है, जिसे “निवेश मित्र पोर्टल” कहा जाता है।
यदि कोई व्यक्ति या संस्था बिना एनओसी के जल का दोहन करती है और सबमर्सिबल पंप का उपयोग करती है तो उसे दंडित किया जाएगा। जुर्माना राशि दो लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक हो सकती है। दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर एक साल तक की सजा भी हो सकती है।