राजेश चौहान बने नए गुट भाकियू (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व लखनऊ के हरिनाम सिंह वर्मा बने प्रदेश अध्यक्ष
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
किसानों के मसीहा के तौर पर लोकप्रिय चौ.महेंद्र सिंह टिकैत Mahendra Singh Tikait की पुण्यतिथि के अवसर पर भारतीय किसान यूनियन दो भागों में बंट गई। हालांकि किसान नेता चौ.राकेश टिकैत Rakesh Tikait द्वारा पूरी रात मनाने के बावजूद असंतुष्ट गुट नहीं माना और 14 मई को लखनऊ के गन्ना संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन BKU (अराजनैतिक) नाम के नए गुट का गठन हो गया। फतेहपुर के राजेश सिंह चौहान Rajesh Singh Chauhan को नए गुट का राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लखनऊ निवासी हरिनाम सिंह वर्मा Harinam Singh Verma को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
भाकियू की स्थापना 1986 में हुई थी। लेकिन समय के साथ इसके कई गुट बन गए। अब भाकियू की प्रदेश संगठन में एक और बड़ी टूट हुई है। जिसका आने वाले समय में असर दिखेगा। भाकियू अराजनैतिक का संरक्षक गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह Rajendra Singh को बनाया गया है। इसके अलावा राकेश टिकैत के करीबी रहे धर्मेंद्र मलिक Dharmendra Malik को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है।
नए गुट में मांगेराम त्यागी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अनिल तालान को राष्ट्रीय महासचिव, हरिनाम सिंह वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष, राजवीर सिंह को प्रदेश उपाध्यक्ष, चौधरी दिंगबर सिंह को युवा प्रदेश अध्यक्ष, बिंदु कुमार को कोषाध्यक्ष चुन लिया गया। कार्यक्रम में सुरेंद्र वर्मा, महेंद्र रंधावा, दीपक, नीरज बालियान, राजकुमार गौतम आदि मौजूद थे।
कौन हैं राजेश चौहान:
राजेश चौहान पिछले 32 सालों से भाकियू से जुड़े हैं। फतेहपुर के के हथगाम ब्लॉक के सिठौरा गांव के रहने वाले राजेश चौहान हमेशा किसान समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन करते रहे हैं। उनके नेतृत्व में रेल व सड़क रोको व अधिकारियों को बंधक बनाने तक का आंदोलन हो चुका है।
राकेश टिकैत ने असंतुष्टों को पूरी रात मनाने की कोशिश की:
संगठन में दरार की खबरे मिलने पर राकेश टिकैत शुक्रवार की रात को ही लखनऊ पहुंच गए थे। चिनहट के नौबस्ता कलां गांव के वरिष्ठ किसान नेता हरिनाम सिंह वर्मा के आवास पर ही वह ठहरे और देर रात तक उन्होंने हरिनाम सिंह वर्मा सहित असंतुष्ट गुट के नेताओं से बातचीत की, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सका।
राकेश टिकैत की अपील:
राकेश टिकैत ने नए संगठन से अपील की है कि वह केंद्र या प्रदेश की भाजपा BJP सरकार का समर्थन न करें, क्योंकि इससे किसानों का नुकसान होगा। राकेश टिकैत का कहना है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय तक चले किसान आंदोलन के बाद से ही केंद्र और प्रदेश सरकार के निशाने पर भाकियू है।