यूपी80 न्यूज, लखनऊ
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने रविवार को 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले को लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर धरना प्रदर्शन किया। पुलिस कर्मियों ने प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर बस में बैठाकर इको गार्डन में भेज दिया।
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना था कि भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है लेकिन सरकार ने 19000 आरक्षण घोटाले के सापेक्ष 6800 की एक लिस्ट निकाली और वह लिस्ट कोर्ट से रद्द हो गई। सरकार कोर्ट में आरक्षण के मुद्दे को निस्तारित कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही, जिस कारण आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिल पा रहा और आज वह इसी वजह से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर धरना प्रदर्शन करने आए हैं।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप का कहना है की 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 1 जून 2020 को प्रकाशित की गई लिस्ट के दौरान अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटागिरी, सब कैटिगरी आदि को छुपा लिया गया और इस तरह से इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन कर ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.80 फीसदी तथा एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह मात्र 16.2 फीसदीआरक्षण दिया गया है और इस भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ठीक तरह से ओवरलैपिंग नहीं करायी गई है, इस भर्ती में संविधान के नियमों का उल्लंघन किया गया है, जिस कारण आरक्षित वर्ग के 19000 अभ्यर्थी इस भर्ती प्रक्रिया में अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण चयनित होने से रह गए।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह का कहना है कि भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लखनऊ में आए दिन धरना प्रदर्शन कर रहे है और इस भर्ती में अपने लिए न्याय मांग रहे हैं तो इसके लिए दोषी सिर्फ और सिर्फ स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद तथा बेसिक शिक्षा सचिव प्रताप सिंह बघेल हैं, जिनकी वजह से आज सरकार की छवि धूमिल हो रही है और बेसिक शिक्षा सचिव ने 29 अप्रैल 2021 को जारी की गई राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की आरक्षण घोटाले की रिपोर्ट को नहीं माना। आखिर इन अधिकारियों के ऊपर किसका संरक्षण है और कौन इन्हें बचा रहा है, जिस कारण आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को पिछले 3 साल से इस भर्ती में न्याय नहीं मिल पा रहा और ये अधिकारी आरक्षण के मुद्दे को कोर्ट से हल कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहे। 13 मार्च को लखनऊ हाई कोर्ट सिंगल बेंच भी सरकार को आदेश दे चुकी है कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की जून 2020 को प्रकाशित की गई पूरी लिस्ट को दोबारा से बनाई जाए जिसमें अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटागिरी, सब कैटिगरी आदि का उल्लेख हो और कोर्ट ने सरकार को यह कार्य करने के लिए 3 महीने का समय दिया लेकिन आज 5 महीने से अधिक का समय बीत गया इन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन कर दिया। आरक्षण के मुद्दे पर लखनऊ हाई कोर्ट में 20 नवंबर को सुनवाई होगी।