दुनिया को सबसे पहले लोकतंत्र देने वाले मल्ल-सैंथवार कुर्मियों को सत्ता में किया गया नजरअंदाज
गोरखपुर मंडल, 25 जनवरी
दुनिया को जिन्होंने सबसे पहले लोकतंत्र दिया, जिन्होंने भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर सत्य एवं अहिंसा का मार्ग अपनाया। आज वही समाज सत्ता की मुख्य धारा से कट गया है। हम बात कर रहे हैं पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल की। जहां पर ठाकुरों के सामने ब्राह्मणों को खुश करने के चक्कर में यहां की बहुसंख्यक आबादी मल्ल सैंथवार कुर्मियों (पटेल) सहित पूरे पिछड़ा समाज को नजरअंदाज कर दिया गया है। हालात यह है कि गोरखपुर मंडल में पटेल समाज की हिस्सेदारी शून्य व निषाद समाज को सत्ता में भागीदारी के तौर पर मात्र एक राज्यमंत्री मिला है।
बता दें कि गोरखुपर मंडल में चार जिले आते हैं। गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर व देवरिया। इनके अंतर्गत छह संसदीय क्षेत्र स्थित हैं: गोरखपुर, महाराजगंज, बांसगांव, देवरिया, कुशीनगर व सलेमपुर।
कुर्मि व निषाद बहुल गोरखपुर मंडल:
गोरखपुर मंडल में सर्वाधिक 4 लाख से ज्यादा पटेल समाज महाराजगंज में है। इसके अलावा गोरखपुर जनपद (दो संसदीय क्षेत्र गोरखपुर व बांसगांव) में भी समाज की संख्या 3 लाख के करीब है। कुशीनगर में 3 लाख से ज्यादा व देवरिया जनपद में 2 लाख के करीब पटेल समाज है।
इसके अलावा गोरखपुर में सबसे ज्यादा निषाद समाज की आबादी 4.50 लाख से ज्यादा है। गोरखपुर के अलावा महाराजगंज जनपद में भी इस सामाज की अच्छी खासी आबादी है। इसी तरह देवरिया व कुशीनगर जनपद में यादव समाज की अच्छी आबादी है। देवरिया व कुशीनगर में कुशवाहा समाज भी अच्छी तादाद में है।

संसद में भागीदारी:
फिलहाल केवल महाराजगंज से पटेल सांसद, सलेमपुर से कुशवाहा और बांसगांव सुरक्षित सीट से अनुसूचित जाति का सांसद है। इसके अलावा गोरखपुर, देवरिया व कुशीनगर से बीजेपी के ब्राह्मण सांसद हैं।
योगी सरकार में पिछड़ा समाज से आने वाले देवरिया के रुद्रपुर से विधायक जयप्रकाश निषाद व महाराजगंज के रहने वाले राधेश्याम सिंह को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बनाया गया है। इसके अलावा बसपा छोड़कर अपनी टीम के साथ बीजेपी में शामिल होने वाले कुशीनगर के पडरौना से विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। हालांकि यहां से बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी का भी अच्छा जनाधार है।
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केवल ठाकुर बनाम ब्राह्मण की राजनीति :
जब यहां से योगी आदित्यनाथ को सूबे का मुखिया बनाया गया तो ब्राह्मणों को बैलेंस करने के लिए शिवप्रताप शुक्ला को राज्यसभा सांसद के जरिए केंद्र में मंत्री बनाया गया। हालांकि मोदी 2.0 में उन्हें जगह नहीं दी गई। लेकिन पूर्वांचल के ब्राह्मण समाज को खुश करने के लिए देवरिया के पूर्व सांसद कलराज मिश्रा को राजस्थान का राज्यपाल बना दिया गया। इसके अलावा बस्ती मंडल के सिद्धार्थनगर जनपद के सतीश द्विवेदी को शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी दी गई। देवरिया के सूर्यप्रताप शाही को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
महाराजगंज जनपद के रहने वाले एवं सामाजिक चिंतक एडवोकेट नंद किशोर पटेल कहते हैं कि बीजेपी सरकार में गोरखपुर मंडल में ठाकुर बनाम ब्राह्मण के खेल में पिछड़ों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। महाराजगंज निवासी पंकज चौधरी छठी बार सांसद बने हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया। कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर में समाज को पूरी तरह से बीजेपी भूल गई है। गोरखपुर में सर्वाधिक आबादी निषाद समाज की है, लेकिन इस समाज को भी कुछ नहीं मिला।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं। हालांकि वह संत हैं, लेकिन सामाजिक तौर पर उन्हें ठाकुर ही माना जाता है। गोरक्षपीठ पर पिछले लंबे समय से ठाकुर समुदाय के संत बनाए जाने से यहां पर ब्राह्मण बनाम ठाकुर वर्चस्व की लड़ाई लंबे समय से है।
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मल्ल-सैंथवार कुर्मि समाज से उभरे नेता:
महाराजगंज से पंकज चौधरी, ज्ञानेंद्र सिंह, प्रेम सागर पटेल,
गोरखपुर से स्व. अक्षयबर सिंह, स्व.केदारनाथ सिंह, महेंद्र पाल सिंह
कुशीनगर से रामधारी शास्त्री, अंबिका सिंह, विश्वनाथ सिंह। हालांकि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह इसी क्षेत्र से आते हैं, लेकिन उनकी पहचान कुर्मि की बजाय ठाकुर के तौर पर है। आरपीएन सिंह भले ही कुर्मि समाज से आते हैं, लेकिन कभी भी उन्हें कुर्मि समाज के मंच पर नहीं देखा गया, यह दीगर बात है कि कांग्रेस सरकार में उनके मंत्री बनने पर नोएडा में राजपूत समाज ने उनका स्वागत किया था।
देवरिया से स्व चंद्रबली सिंह, नंदकिशोर सिंह, स्व देवी प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद जन्मेजय सिंह,
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समाज की एकजुटता का अभाव:
मऊ निवासी एवं गोरखपुर में व्यवसायी सत्यानंद सिंह कहते हैं कि इस क्षेत्र में अभी भी जमीन पर गोत्र को लेकर कुर्मि समाज एकजुट नहीं हो पाया है, जिसका खामियाजा उसे राजनैतिक तौर पर झेलना पड़ रहा है। हालांकि शिक्षा के साथ-साथ लोगों में जागरूकता आ रही है और एकजुट हो रहे हैं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सैंथवार-मल्ल कुर्मि समाज की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। निषाद पार्टी के साथ-साथ अपना दल एस को भी यहां पर लोग गंभीरता से ले रहे हैं।