डिप्टी सीएम व प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी, फिर भी ओबीसी के मेधावी छात्रों को किया गया नजरअंदाज
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
प्रदेश की सत्तासीन पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष और यहां के उपमुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग के हैं। बावजूद इसके प्रदेश में ओबीसी को नजरअंदाज करने की पूरी कोशिश हो रही है। लॉकडाउन के दौर में जब पूरा देश कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी से जूझ रहा है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग ने एक नया फरमान जारी किया है। विभाग की नई गाइडलाइंस के अनुसार आईएएस-पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों के मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए प्रदेश सरकार सहयोग करेगी, लेकिन ओबीसी वर्ग के गरीब छात्रों के लिए ऐसा प्रावधान नहीं किया गया है। इस बाबत 55 लाख रुपए बजट का प्रावधान किया गया है। इस ज्वलंत मामले को लेकर पूरे प्रदेश में ओबीसी वर्ग में गहरी नाराजगी है।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव मनोज सिंह द्वारा 27 अप्रैल को जारी आदेश के तहत प्रदेश के ऐसे मूल निवासी, जो अनुसूचित जाति (55 लाख रुपए बजट ) एवं सामान्य वर्ग (55 लाख रुपए बजट) से संबंध रखते हैं के अभ्याथियों को दिल्ली, लखनऊ एवं प्रयागराज स्थित उच्च कोटि की ख्याति प्राप्त आईएएस-पीसीएस कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से मुख्य परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण-कोचिंग प्राप्त करने हेतु दिया जाएगा।
इस योजना का लाभ अनुसूचित जाति के 100 अभ्याथियों एवं सामान्य वर्ग के 100 अभ्यार्थियों को प्रस्तर 6 में निर्धारित प्रक्रिया अनुसार श्रेष्ठता सूची तैयार करते हुए दिया जाएगा। दोनों ही वर्गों में उपरोक्त 100 अभ्यर्थियों में से 25-25 सीटें क्रमश: महिला अभ्यर्थियों हेतु सुरक्षित रहेंगी।
पूर्व में ओबीसी अभ्यार्थियों के लिए भी थी सुविधा:
पूर्व में ओबीसी अभ्यार्थियों के लिए भी ऐसी सुविधा का प्रावधान था। आईएएस-पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले ओबीसी के अभ्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग के अलावा नि:शुल्क आवास, पुस्तकालय व मैस सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी। वर्ष 2017 में निदेशक के तौर पर मनोज सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में ओबीसी वर्ग को उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाओं का उल्लेख है।
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सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कहते हैं कि बीजेपी हिन्दू-मुसलमान की चासनी में ओबीसी के अधिकारों से खिलवाड़ कर रही है। मैं शुरू से यह बात कहते आ रहा हूं कि प्रदेश सरकार पिछड़ों के हितों से खिलवाड़ कर रही है सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि बीजेपी के ओबीसी के सांसद और विधायक इस तरह के बड़े मामलों पर मौन हो जाते हैं।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ.अनूप पटेल ने भी प्रदेश सरकार को ओबीसी विरोधी बताते हुए कहा है कि पिछड़ों के वोट से सत्ता में आई यह सरकारी पिछड़ों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार तुरंत यह फैसला वापस ले।
लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं सामाजिक चिंतक नंद किशोर पटेल का कहना है कि पिछड़ा वर्ग के मेधावी बच्चों के साथ यह सरासर अन्याय है। सरकार को तत्काल इस मामले में फैसला वापस लेना चाहिए।
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