बलिराम सिंह, लखनऊ
आखिरकार बिहार Bihar के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Nitish Kumar की दृढ़ इच्छाशक्ति और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी Rahul Gandhi का दबाव काम आया। बुधवार को मोदी कैबिनेट Modi Cabinet ने जाति जनगणना Caste census कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट मीटिंग की ब्रीफिंग के दौरान यह जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई है। कांग्रेस ने जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराया।
अश्विनी वैष्णव ने कहा, “जाति की जनगणना मूल जनगणना में ही सम्मिलित होना चाहिए। पीएम मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट ने फैसला किया है कि जाति की जनगणना को आने वाली जनगणना में सम्मिलित करके किया जाए।”

आपको बता दें कि देश में पहली बार जाति जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला दो साल पहले बिहार की नीतीश कुमार Nitish Kumar के नेतृत्व में जदयू, राजद और कांग्रेस की सरकार ने लिया। नीतीश सरकार के इस फैसले का पूरे देश में बड़ा संदेश गया।

उधर, जाति आधारित जनगणना Caste census कराने की मांग को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी Rahul Gandhi निरंतर आवाज उठा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के पहले से अब तक राहुल गांधी अपने हर कार्यक्रम में इस मुद्दे को मजबूती से उठाते हैं। मोदी सरकार के इस फैसले पर राहुल गांधी ने कहा कि संसद में हमने कहा था कि जाति जनगणना करवा कर रहेंगे। साथ ही, 50 फीसदी आरक्षण की सीमा भी हटाएंगे। हम इस फैसले का समर्थन करते हैं।
जाति आधारित जनगणना का फैसला वंचितों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय: अनुप्रिया पटेल

उधर, इस फैसले पर अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल Anupriya Patel ने कहा है,
“प्रधानमंत्री Narendra Modi जी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में “जाति आधारित जनगणना” को मंजूरी देकर वंचितों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
मेरी पार्टी स्थापना काल से ही निरंतर देश में जाति आधारित जनगणना की माँग करती रही है। सड़क से संसद तक अपना दल एस ने जाति-जनगणना की पुरज़ोर वकालत की है।
बगैर झकझोरे शक्तिशाली लोग अधिकार किसी को नहीं देंगे: अखिलेश यादव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा,
नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने संसद में जातिवार जनगणना का मुद्दा केंद्र की हर सरकार में पुरज़ोर तरीक़े से उठाया था क्योंकि वो जानते थे कि जाति की गणना न कराने से कमज़ोर-पिछड़ों के अधिकारों की हक़मारी की जा रही है। नेता जी अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण और पिछड़ेपन के दंश को जानते थे और ये मानते थे कि जब तक सरकारों को झकझोरा और जगाया नहीं जाएगा, तब तक परंपरागत शक्तिशाली लोग न तो सत्ता में किसी को हिस्सा देंगे, न उनका अधिकार।
उन सब समाजवादी नेताओं को सादर नमन जिन्होंने इसके लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। ये सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तीकरण के सभी गणमान्य विचारकों के निरंतर संघर्ष की जीत है और उनकी करारी हार जो सौ साल से इसे नकारने का षड्यंत्र रचते रहे।