के.के.वर्मा, लखनऊ
लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ बने विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की उम्र को लेकर चर्चा तेज हो गयी है। छठवें चरण के बाद इस गठबंधन के नेता खासे उत्साहित हैं और वह देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का दावा करते नहीं अघा रहे हैं। गठबंधन की सम्भावित सीटें तो वह नहीं बता पा रहे हैं लेकिन भाजपा की सीटें अलग-अलग बताने के साथ ही 400 सीटों को हराने की बात कह रहे हैं।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में सपा एवं कांग्रेस मुख्य रूप से शामिल हैं। इसमें सपा 63 और कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गठबंधन यूपी में भाजपा को कड़ी चुनौती दे रहा है।अधिकांश सीटों पर इंडिया गठबंधन एवं भाजपा के बीच ही लड़ाई सिमट गयी है। अंतिम चरण का चुनाव प्रचार भी समाप्त हो गया है। इस बीच गठबंधन की उम्र को लेकर चर्चा तेज हो गयी है। इससे पूर्व 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा एवं कांग्रेस का गठबंधन हुआ था, जिसमें दोनों दलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। उस चुनाव में सपा को 47 और कांग्रेस को सात सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। चुनाव परिणाम आने के कुछ ही दिनों बाद सपा- कांग्रेस के नेता एक दूसरे को कोसने लगे और गठबंधन तार-तार हो गया।
पिछले लोकसभा चुनाव में भी सपा- बसपा एवं रालोद का गठबंधन हुआ था। सपा ने बसपा को अधिक सीटें देकर चुनाव लड़ाया। सपा मुखिया अखिलेश यादव एवं बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव प्रचार के दौरान कई स्थानों पर मंच भी साझा किया। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी कई जगह साथ में दिखे थे, लेकिन चुनाव में बसपा को दस और सपा को पांच सीटो पर ही संतोष करना पड़ा। अखिलेश यादव के ही परिवार के कई सदस्य चुनाव हार गए। इसके बाद दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर हमला बोलने लगे और गठबंधन टूट गया। इस तरह सपा के साथ बसपा एवं कांग्रेस के खट्टे अनुभव के साथ इस बार इंडिया गठबंधन की उम्र क्या होगी, इस पर चर्चा तेज हो गयी।
कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर यूपी में गठबंधन की सीटें ठीक आयी तो गठबंधन बरकरार रहेगा, वर्ना टूट सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक चुनावी सभा में कह दिया कि चुनाव बाद यह गठबंधन टूटेगा खटाखट।
कांग्रेस लीडरान का कहना है कि यह गठबंधन आगे भी चलता रहेगा। लेकिन वास्तव में गठबंधन की उम्र काफी कुछ चुनाव परिणाम पर निर्भर करती है। यह गठबंधन पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ मजबूती से लड़ रहा है, इसलिए विधानसभा चुनाव भी गठबंधन मिलकर लड़ सकता है। खैर यह तो बड़ी दूर और देर की बात है, असल में तो इंतजार चार जून को ईवीएम खुलने का है। चार जून की तारीख देश में इतिहास रचने वाली है।