यूपी80 न्यूज, लखनऊ
गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी की मौत मामले की न्यायिक जांच होगी। यह जांच रिपोर्ट अगले एक महीने के अंदर आएगी। इस मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए कोर्ट गरिमा सिंह को सौंपी गई है।
बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास गुप्ता की ओर से किए गए जांच आदेश में कहा गया है कि जिला कारागार बांदा के वरिष्ठ अधीक्षक ने जेल में निरुद्ध सिद्धदोष विचाराधीन बंदी मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को मृत्यु मामले में न्यायिक जांच के लिए जांच अधिकारी नामित करने की प्रार्थना की गई है।
उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।
मुख़्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उनकी उच्च-स्तरीय जाँच जरूरी, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक। कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है, “
हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा: –
थाने में बंद रहने के दौरान –
जेल के अंदर आपसी झगड़े में –
जेल के अंदर बीमार होने पर –
न्यायालय ले जाते समय –
अस्पताल ले जाते समय –
अस्पताल में इलाज के दौरान –
झूठी मुठभेड़ दिखाकर –
झूठी आत्महत्या दिखाकर –
किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर
ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।
उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।”