अनूप सिंह, बाराबंकी
हिंदू- मुस्लिम एकता का प्रतीक है बाराबंकी स्थित देवा शरीफ का मजार। देवा शरीफ की मजार पर गुलाब और गुलाल की अनोखी होली हिंदू- मुस्लिम भाई एक साथ मिलकर खेलते हैं। यहां होली खेलने दूर-दूर से लोग आते हैं।
बाराबंकी की विश्व प्रसिद्ध दरगाह पर सभी नफरत की दीवारें टूट जाती है। काशी, मथुरा वृंदावन की तरह होली के रंगों में सराबोर हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर हिंदू–मुस्लिम समेत सभी धर्म, जाति के लोग इस अनोखी होली को देखने और खेलने दूसरे राज्यों से आते हैं।
बाराबंकी जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर देवा क्षेत्र में स्थित विश्व विख्यात हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर सोमवार को होली के पर्व पर जायरीनों (श्रद्धालुओं) का हुजूम उमड़ पड़ा। भारत के कई राज्यों से हजारों की संख्या में जायरीन सोमवार को होली खेलने पहुंचे। रंग में सराबोर जायरीनों ने बताया कि देवा में मोहब्बत और भाईचारे के संदेश के साथ कौमी एकता की होली दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां सभी धर्मों के लोग होली के दिन आपसी भाईचारा और एकता का संदेश देते हैं।
जायरीनों में होली को लेकर रहता है उत्साह:
होली पर्व के दिन दरगाह कमेटी के साथ स्थानीय और दूर दराज से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ फूलों की चादर से सजा जुलूस निकालते हैं। यह जुलूस मुख्य द्वार कौमी एकता गेट से निकलकर देवा कस्बे में घुमाया जाता है। इसके बाद यह दरगाह परिसर में 12 बजे पहुंचता है और समापन के दौरान जमकर रंग, गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है। सूफी संत की दरगाह पर मुसलमानों से ज्यादा हिंदू श्रद्धालुओं के संख्या रहती है। ये लोग अपने मन की मुरादों की चादर पेशकर प्रार्थना कर वापस लौट जाते हैं।
यहां के स्थानीय निवासी प्रताप जायसवाल बताते हैं कि होली दरगाह के मुरीद और मानने वाले एक साथ रंग और गुलाल खेलते हैं। सीओ सिटी जगत कनौजिया ने बताया कि देवा मजार पर खेली गई होली के साथ पूरे जिले में शांति रही। सभी धर्म के लोगों ने मिलकर होली का पर्व मनाया है।