समता मूलक समाज के लिए जीवनभर संघर्षरत रहें रामस्वरूप वर्मा Ramswarup Verma
अर्जुन सिंह पटेल, 22 अगस्त
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर Dr BR Ambedkar ने जो समता मूलक समाज का सपना देखा था। उस सपना को साकार करने के लिए “अर्जक संघ Arjak Sangh” के संस्थापक महामना रामस्वरूप वर्मा Ramswarup Verma जी अंतिम सांस तक संघर्षरत रहें।
“सौ में नब्बे शोषित है और नब्बे ने ललकारा है,
धन-धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है।”
महामना रामस्वरूप वर्मा जी ने ऐसी सोच के साथ शोषित समाज दल नामक राजनैतिक दल के जरिए वैचारिक क्रांति लाने का कार्य किया। देश में शोषणपरक व्यवस्था को समाप्त कर सभी की जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी के लिए महामना ने आवाज उठायी।
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के बगैर राजनैतिक आजादी अधूरी:
महामना का मानना था कि सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक परिवर्तन के बिना राजनैतिक आजादी अधूरी है। समाज को जागरूक करने के लिए उन्होंने साप्ताहिक समाचार पत्र ‘अर्जक’ निकालना शुरू किया। इसके जरिए महामना लगातार मानववाद के लिए आवाज उठाते रहें और सामाज में फैले रूढ़िवाद पर करारा चोट करते रहें।उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी।
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रामस्वरूप वर्मा का मानना था कि पुनर्जन्म एवं भाग्यवाद की सोच के कारण पाखंडी व्यवस्था बरकरार है। इसी वजह से उन्हें उत्तर भारत का अम्बेडकर कहा जाता है।
वित्त मंत्री के दौरान सुविधाएं नहीं ली:
रामस्वरूप वर्मा 1967 में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने टीए इत्यादि नहीं लिया और विधायकों के वेतन वृद्धि का विरोध किया। इसके बावजूद विधायकों का वेतन बढ़ाने पर उन्होंने बढ़ा हुआ वेतन लौटा दिया। उस समय उन्होंने 20 करोड़ का आर्थिक लाभ का बजट पेशकर देशवासियों को अचंभित कर दिया।
रामस्वरूप वर्मा, एक नजर:
जन्म : 22 अगस्त 1923
महापरिनिर्वाण: 19 अगस्त 1998
जन्मस्थान: गौरी गांव, कानपुर देहात
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए एवं आगरा विश्वविद्यालय से एलएलबी पास किया
आईएएस का एक्जाम पास किया, लेकिन इंटरव्यू नहीं दिया
रामस्वरूप वर्मा का मानना था कि आईएएस की नौकरी आरामदायक है। उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए सामाजिक एवं राजनैतिक संघर्ष को चुना।
1967 में वित्त मंत्री बने। समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया के वैचारिक मित्र थे।
उस समय उन्होंने 20 करोड़ का आर्थिक लाभ का बजट पेशकर देशवासियों को अचंभित कर दिया।
1 जून 1968 को सामाजिक संगठन अर्जक संघ की स्थापना
14 अप्रैल 1978 से 30 अप्रैल तक पूरे महीने रामायण एवं मनुस्मृति जलाने का आह्वान किया
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