के.के.वर्मा, लखनऊ
विधान परिषद की 13 सीटों पर होने जा रहे चुनाव में भाजपा को 9 और सपा को 3 सीट आसानी से मिल सकती हैं। जबकि एक सीट के लिए दोनों पक्षों को जोर आजमाइश करनी होगी। लेकिन विधान परिषद अब बसपा BSP विहीन हो जायेगी, क्योंकि उसके पास विधानसभा में एक मात्र सदस्य है।
कांग्रेस तो पहले से ही उच्च सदन यानि विधान परिषद में निल है। विधान परिषद में बसपा के एक मात्र सदस्य डॉ. भीमराव आंबेडकर हैं। उनका कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है। विधान सभा में बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर सिंह हैं। ऐसे में बसपा के पास नामांकन दाखिल करने के लिए भी पर्याप्त सदस्य नहीं हैं। बसपा उसी स्थिति में प्रत्याशी मैदान में उतार सकेगी जब उसका भाजपा या सपा के साथ कोई गठबंधन हो। यदि बसपा का भाजपा के साथ गठबंधन नहीं हुआ, तो उच्च सदन बसपा मुक्त हो जाएगा।
परिषद में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं हैं। अब केवल भाजपा, सपा, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक, निषाद पार्टी, अपना दल एस, शिक्षक दल गैर राजनीतिक और निर्दलीय सदस्य रहेंगे। वर्तमान समय में भाजपा के पास 288 और सपा के पास 108 वोट हैं। एक सीट के लिए परिषद के चुनाव में 29 वोट की आवश्यकता होगी, ऐसे में भाजपा दस सीटें जीत सकती है जबकि सपा को तीन सीट आसानी से मिल जाएगी।
सूत्रों की मानें तो विधान परिषद में भाजपा के सदस्य बुक्कल नवाब, सरोजनी अग्रवाल, निर्मला पासवान, अशोक धवन का टिकट कट सकता है। परिषद में भाजपा के सदस्य यशवंत सिंह ने स्थानीय निकाय क्षेत्र विधान परिषद चुनाव में आजमगढ़ क्षेत्र से अपने बेटे विक्रांत सिंह को भाजपा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ाया था। विक्रांत सिंह चुनाव जीत गए और भाजपा चुनाव हार गई थी। उसके बाद से पार्टी नेतृत्व यशवंत सिंह से खफा माना जा रहा है। यशवंत को दोबारा टिकट मिलने में भी संशय है। लेकिन डॉ. महेंद्र कुमार सिंह, विजय बहादुर पाठक, विद्यासागर सोनकर, अशोक कटारिया को दोबारा टिकट मिल सकता है। अपना दल एस के आशीष पटेल का परिषद का सदस्य निर्वाचित होना तय है।
पार्टी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से प्रत्याशी चयन करेगी। विधान परिषद में विधानसभा क्षेत्र की 13 सीटों पर चुनाव 21 मार्च को होंगे। परिषद में भाजपा के सदस्य यशवंत, विजय बहादुर पाठक, विद्यासागर सोनकर, डॉ. सरोजनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेंद्र कुमार सिंह, निर्मला पासवान, मोहसिन रजा, अपना दल एस के आशीष पटेल, सपा के नरेश उत्तम पटेल और बसपा के भीमराव आंबेडकर का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है। मई में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने परिषद का चुनाव 21 मार्च को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक कराने का फैसला किया है। मतदान के बाद मतगणना होगी।
क्यों हुआ बसपा का ये हाल?
लेखक एवं सामाजिक चिंतक व कर्मश्री मासिक पत्रिका के उप संपादक मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि दलित- पिछड़ों के उत्थान के लिए बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान में जो प्रावधान किया एवं बाबा साहब व मान्यवर कांशीराम ने जिस मिशन की शुरुआत की, बसपा सुप्रीमो मायावती उस मिशन से भटक गईं और कांशीराम जी ने जिनके खिलाफ आवाज उठाई, बसपा सुप्रीमो ने उन्हीं को पार्टी में शामिल कर ली, नतीजा आपके सामने है।