यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा के बागी नेता भी दम भर रहे हैं। इन बागी नेताओं की वजह से कई सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को पसीना बहाना पड़ रहा है। राज्य के हर जिले में पार्टी के पुराने नेता पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। पार्टी के कई सांसद और विधायक अपने परिजन को टिकट न दिला पाने की वजह से खफा हैं। उनके परिजन बगावत पर उतर पड़े हैं।
हालात ऐसे हैं कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने यह ऐलान किया है कि अगर पार्टी के बागी प्रत्याशी नहीं बैठे तो सांसद, विधायक और पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी। बीजेपी में बागियों की भरमार हो गई है। हर जिले में पार्टी के फैसले के खिलाफ पार्टी के पुराने नेता व कार्यकर्ता अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। पार्टी के पुराने लोग सवाल कर रहे हैं कि यूपी के जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक की दो बहनों को चेयरमैन का टिकट कैसे मिल गया, जबकि पार्टी का फैसला था कि किसी मंत्री, सांसद और विधायक के परिजन को टिकट नहीं मिलेगा। मेरठ की हस्तिनापुर सीट से विधायक और राज्यमंत्री दिनेश खटीक की बहन वर्षा मोघा को बीजेपी ने सहारनपुर के सरसावा अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से पहले वर्षा के पति विजेंद्र मोघा चेयरमैन रहे हैं। आरोप है कि राज्यमंत्री ने बहनोई की जगह अपनी एक बहन को हस्तिनापुर सीट से और दूसरी बहन सुधा देवी को मेरठ की एक अन्य अध्यक्ष पद की सीट पर टिकट दिलाया है।
बदायूं की वजीरगंज नगर पंचायत में पार्टी ने ब्रजेश सिंह की पत्नी संगीता को प्रत्याशी बनाया है। इससे खफा विधायक के दो करीबियों की पत्नी शंकुलता और ममता ने नामांकन दाखिल किया है। प्रयागराज में भी पार्टी के दो सीनियर मंत्री एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। दोनों मंत्रियों के बीच अनबन का कारण सपा से बीजेपी में शामिल किए गए रईस शुक्ला बने हैं। रईस शुक्ला ने कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। नंदी को बताए बिना डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य रईस शुक्ला को पार्टी में ले आए, जिसके चलते नंदी नाराज हैं। बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, गाजियाबाद में पार्टी के बागी नेता पार्टी के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। शाहजहांपुर में पार्टी के नेता सपा के मेयर प्रत्याशी को पार्टी में चार घंटे पहले लाकर उन्हें पार्टी का मेयर प्रत्याशी घोषित किए जाने से खफा हैं।
पार्टी नेताओं का कहना है कि कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने अपनी इमेज बेहतर करने के लिए सपा के प्रत्याशी को पार्टी पर थोप दिया है, अब वही अपने दम पर पार्टी के प्रत्याशी को जिताएं। अयोध्या के बीजेपी जिलाध्यक्ष अभिषेक मिश्रा ने बैठक में तेवर दिखा दिए। उनका कहना है कि बीजेपी ने अयोध्या नगर निगम में जिसको मेयर का प्रत्याशी बनाया है, उसे पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी जानते नहीं हैं। पहले कभी पार्टी में नहीं रहे। हर जिले में पार्टी नेताओं की ऐसी नाराजगी को देखते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी अब आगे आए हैं।
मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष श्री चौधरी ने पार्टी मुख्यालय में निकाय चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज होकर बगावत करने वाले कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी ली। उनको हर हाल में मनाकर मैदान से हटाने का फरमान सुनाया है। भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी के विधायक, सांसद और पार्टी पदाधिकारी जिस दावेदार की पैरवी कर रहे थे, वह टिकट न मिलने के कारण अगर बगावत कर चुनाव लड़ रहा है तो उसे मैदान से हटाया जाए। भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि अगर फिर भी कोई बगावत कर चुनाव लड़ा तो विधायक, सांसद और पदाधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी।
कहा जा रहा है कि अगर समय रहते बागियों को मैदान से नहीं हटाया गया तो निकाय चुनाव में नुकसान होगा और दूसरा लोकसभा चुनाव तक क्षेत्र में पार्टी का माहौल खराब रहेगा। पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी का नुकसान भी झेलना पड़ेगा, जिसके चलते निकाय चुनाव में वोट प्रतिशत भी गिरेगा। भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि सांसद, विधायक और पार्टी के पदाधिकारी मिलकर बागी उम्मीदवारों को हर हाल में समझाकर चुनाव मैदान से हटाकर पार्टी प्रत्याशी की राह आसान करें। भूपेंद्र चौधरी का प्रयास कितना असरदार साबित होता है, यह तो रिजल्ट बतायेगा।