खड़गे ने एलएलबी करने के बाद सबसे पहले मजदूरों की लड़ाई लड़ी
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
केंद्र और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में पिछले लंबे समय से सत्ता से दूर कांग्रेस Congress पार्टी ने सत्ता में वापसी के लिए दलित Dalit समाज पर दांव लगाया है। दलित समाज से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे Mallikarjun Kharge को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। इससे पहले उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में भी दलित समाज से आने वाले पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर दलित समाज को साधने की रणनीति बनाई गई है।
कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में 9800 से ज्यादा कांग्रेसी नेताओं ने वोट दिया था। इनमें से 7897 वोट खड़गे के पक्ष में डाले गए। उनके विरोधी शशि थरूर को एक हजार से ज्यादा वोटों से ही संतोष करना पड़ा। मल्लिकार्जुन खड़गे दलित परिवार से आते हैं। इनसे पहले 1970-71 में दलित समाज से आने वाले बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे।
मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। गुलबर्गा से उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर वहीं सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। यहां वह स्टूडेंट यूनियन के महासचिव भी चुने गए। बाद में उन्होंने एलएलबी की डिग्री ली और वकालत करने लगे। 1969 में वह एमकेएस मील्स कर्मचारी संघ के विधिक सलाहकार बने। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। 1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हुए। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। खड़गे यहां से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान वह सरकार में कई बार मंत्री भी बने। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए।
गांधी परिवार के भरोसेमंद:
खड़गे को गांधी परिवार का भरोसेमंद माना जाता है। 2019 में लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया और राज्यसभा में उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिली।
कांग्रेस के युवा नेता एवं भारत जोड़ो यात्रा के प.बंगाल के संयोजक डॉ.अनूप पटेल कहते हैं,
“वरिष्ठ कांग्रेसी, अनुभवी राजनेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने से डॉ आंबेडकर और महात्मा गांधी का सपना साकार हुआ।
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव होने से भाजपा सवालों के घेरे में है क्योंकि भाजपा ने निवर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा को बिना चुनाव करवाये अध्यक्षी का एक्सटेंशन दे दिया है। क्या भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है?”