बलिराम सिंह, नई दिल्ली
“देश के कम से कम दो आईआईटी IITs और तीन आईआईएम IIMs में 90% से अधिक फैकल्टी पद सामान्य वर्ग के व्यक्तियों द्वारा भरे गए हैं।” आल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक आरटीआई के जरिए प्राप्त जानकारी का खुलासा करते हुए केंद्र सरकार से मांग की कि केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं में ओबीसी OBC के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में हो रही अनियमितता को दूर करते हुए जल्द से जल्द सभी रिक्त पदों को भरा जाए।
राज्यसभा सदस्य पी विल्सन ने आईआईएम इंदौर में 97.2% फैकल्टी सामान्य वर्ग से हैं, जबकि एससी SC या एसटी ST समुदाय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। आईआईएम उदयपुर और आईआईएम लखनऊ में भी 90% से अधिक फैकल्टी सामान्य वर्ग के हैं। आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी खड़गपुर में 90% फैकल्टी सामान्य वर्ग के हैं, जबकि आईआईटी मंडी, गांधीनगर, कानपुर, गुवाहाटी और दिल्ली में भी यही अनुपात 80-90% है।
कुल मिलाकर 13 आईआईएम में फैकल्टी की संरचना 82.8% सामान्य वर्ग, 5% एससी, 1% एसटी, और 9.6% ओबीसी है। वहीं, 21 आईआईटी में यह अनुपात 80% सामान्य वर्ग, 6% एससी, 1.6% एसटी, और 11.2% ओबीसी है।
यह आंकड़े आरक्षित वर्गों के लिए निर्धारित 27% (ओबीसी), 15% (एससी), और 7.5% (एसटी) के मानकों से काफी पीछे हैं। देश के सात आईआईएम में 256 फैकल्टी पद खाली हैं, जिनमें 88 ओबीसी, 54 एससी, और 30 एसटी के लिए आरक्षित हैं। इसी तरह, 11 आईआईटी में 1,557 फैकल्टी पद खाली हैं, जिनमें 415 ओबीसी, 234 एससी, और 129 एसटी के लिए आरक्षित हैं।
ऑल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय सलाहकार इंजी. आला रामकृष्णा ने कहा कि इस तरह की असमानताएं न केवल आरक्षण नीति का उल्लंघन हैं, बल्कि यह प्रणालीगत बहिष्कार को भी बढ़ावा देती हैं, जिससे शिक्षा में विविधता और हाशिए पर पड़े समुदायों की आकांक्षाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
एआईओबीसीएसए के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौड़ किरण कुमार ने कहा कि आईआईटी पटना और आईआईएम जम्मू जैसे संस्थान अपेक्षाकृत बेहतर आरक्षण नीति के अनुपालन का पालन कर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि उचित प्रतिबद्धता और निगरानी से इन मानकों का पालन संभव है। एआईओबीसीएसए के राष्ट्रीय संयोजक पंकज राजशेखर कुशवाहा ने संगठन की तरफ से केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से आईआईटी और आईआईएम में फैकल्टी भर्ती प्रक्रियाओं की स्वतंत्र समीक्षा कराई जाए, फैकल्टी नियुक्तियों में आरक्षण नीतियों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
पारदर्शी फैकल्टी रोस्टर बनाए जाएं और उन्हें सार्वजनिक डोमेन में रखा जाए। ओबीसी, एससी, और एसटी के लिए आरक्षित रिक्त फैकल्टी पदों को शीघ्र भरा जाए और आरक्षण मानदंडों के पालन की निगरानी के लिए जवाबदेही तंत्र स्थापित किया जाए।
राज्यसभा सांसद पी. विल्सन ने इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया और मंत्रालय से इसे शीघ्र हल करने की अपील की। एआईओबीसीएसए के राष्ट्रीय सलाहकार इंजी. अला रामकृष्णा, राष्ट्रीय अध्यक्ष गौड़ किरण कुमार, राष्ट्रीय संयोजक पंकज राजशेखर कुशवाहा, राष्ट्रीय समन्वयक रितु, राष्ट्रीय सचिव पुष्प राज और कृषि विश्वविद्यालय प्रभारी अरविंद ने प्रेस बैठक में भाग लिया।
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