अनूप कुमार सिंह , बाराबंकी
बाराबंकी जिला काले सोने यानि अफीम की खेती के लिए फेमस है. लेकिन कुछ वर्षों से यहां हर-तरह की खेती होने लगी है। जिले के कुछ किसान सब्जियों और फलों की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उनका मानना है कि इन सब्जियों और फलों की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसी कड़ी में जिले के एक ऐसे किसान प्रदीप कुमार ने चुकंदर और गाजर की खेती में महारत हासिल की है। साथ ही इस खेती से प्रतिवर्ष लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं।

बाराबंकी जिले के सहेलियां गांव के रहने वाले किसान प्रदीप कुमार ने चार साल पहले गाजर और चुकंदर आदि की खेती की शुरुआत की थी। जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। आज वह लगभग 3 बीघे में चुकंदर की खेती कर रहे हैं। जिनमे उन्हें करीब 2 से 3 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है। आज इनकी हाईटेक खेती देख गांव के अन्य किसान भी चुकंदर आदि की खेती करने लगे हैं।
3 महीने में 3 लाख की कमाई:
किसान प्रदीप कुमार ने बताया कि पहले हम पारंपरिक खेती करते थे। पारंपरिक खेती से हमें कोई मुनाफा नहीं मिल पा रहा था। आज करीब 3 बीघे में चुकंदर की खेती कर रहे हैं। इस खेती में लागत करीब 5 से 6 हजार रुपए आती है। इसमें बीज, जुताई का खर्च शामिल है। वहीं मुनाफा करीब एक फसल पर 2 से 3 लाख रुपये हो जाता है। वहीं बाजार में अच्छा भाव मिल गया तो मुनाफा और भी बढ़ जाता है।
ऐसे करें चुकंदर की खेती:
किसान प्रदीप कुमार ने बताया कि चुकंदर की बुवाई करने से पहले खेत की कई बार जुताई की जाती है। फिर 4 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में गोबर की खाद डाली जाता है और जमीन को समतल करना पड़ता है। अगर किसान भाई गर्मी के मौसम में चुकंदर की खेती करने का प्लान बना रहे हैं, तो सबसे पहले बेहतर किस्म का चुनाव करें. चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है। इसलिए समय- समय पर इसकी निराई- गुड़ाई की जाती है। साथ ही, जरूरत के हिसाब से सिंचाई भी करनी पड़ती है। बुवाई करने के 120 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है।