पत्र वायरल, बसपा से पिछड़े नेताओं का पलायन जारी, सुखदेव राजभर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की जमकर तारीफ की
यूपी80 न्यूज, आजमगढ़
बहुजन समाज पार्टी से दलित व पिछड़ा वर्ग के नेताओं का मोहभंग जारी है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम के बेहद करीबी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं आजमगढ़ के दीदारगंज से विधायक सुखदेव राजभर का बसपा से मोहभंग हो गया है। सुखदेव राजभर ने खराब स्वास्थ्य के कारण राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करते हुए बसपा को मिशन से भटकी हुई पार्टी बताया है एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तारीफ की है। सुखदेव राजभर द्वारा लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उन्होंने यह पत्र अखिलेश यादव एवं बसपा सुप्रीमो मायावती को भेजा है।
सुखदेव राजभर ने अपने बेटे कमलाकांत राजभर के समाजवादी पार्टी में जाने के फैसले को सही बताया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, “ मैने मान्यवर कांशीराम जी के साथ मिलकर शोषितों, वंचितों, दलितों व पिछड़ों के हक-हुकूक की लड़ाई लड़ी है। वर्तमान में शोषितों, वंचितों, दलितों व पिछड़ों की आवाज को वर्तमान की अन्यायपूर्ण व शोषणकारी सरकार द्वारा दबाया जा रहा है। इन परिस्थितियों में बहुजन मूवमेंट व सामाजिक न्याय कमजोर पड़ रहा है। पिछले दो सालों से मेरा स्वास्थ्य बहुत खराब है।
आज हमारे समाज के मिशनरी और जिम्मेदार लोगों को स्वार्थी तत्वों के दबाव में निकाला जा रहा है। इन्हीं स्वार्थीतत्वों द्वारा बहुजन मूवमेंट को दिशाहीन किया जा रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि वर्तमान परिस्थितियों में मेरे एकलौते पुत्र कमलकांत राजभर ने अपने हक-हुकूक की लड़ाई में अखिलेश यादव को अपना नेता स्वीकार किया है।
दो महीने में तीन बड़े पिछड़े नेता बसपा से बाहर:
सुखदेव राजभर के जाने के बाद बसपा में एक और कद्दावर पिछड़ा नेता कम हो गया। बसपा सुप्रीमो मायावाती ने हाल ही में बसपा के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। निष्कासन के बाद दोनों नेताओं ने खुद को निर्दोष बताते हुए साजिश के तहत निकाले जाने की बात कही थी। इनसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
सुखदेव राजभर का राजनैतिक इतिहास:
वर्ष 1991 में पहली बार विधायक बने
2017 में पांचवीं बार विधायक चुने गए
1993-95 में राज्यमंत्री सहकारिता, माध्यमिक, बेसिक शिक्षा बने
मई 2002 से अगस्त 2003 तक संसदीय कार्य मंत्री, वस्त्रोद्योग व रेशम मंत्री
वर्ष 2007 से 2012 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे