देश के राजनीतिज्ञों के लिए भी लीडर्स इंट्रेंस टेस्ट (LET) की जरूरत
यूपी80 न्यूज, बलिया
“पीईटी परीक्षा की तर्ज पर नेताओं के लिए पात्रता परीक्षा (LET) का आयोजन किया जाए।“ अधीनस्थ सेवा के पात्रता परीक्षा के लिए हाल ही में सम्पन्न हुई पीईटी परीक्षा में भगदड़ को लेकर आक्रोशित बुद्धिजीवियों ने यह मांग की है। उन्होंने नेता पात्रता परीक्षा (LET) की मांग की है। उनका साफ कहना है कि जब सभी सेवाओं के लिए पात्रता परीक्षा की आवश्यकता है तो अब देश राजनीतिज्ञों के लिए भी लेट पात्रता परीक्षा की आवश्यकता महसूस कर रहा है।
इस सम्बन्ध में बापू स्मारक इंटर कॉलेज के प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह का कहना है कि संविधान के नीति निर्धारण करने वाले प्रारूप समिति के सभी सदस्य विद्वान थे, परंतु आज राजनीतिक क्षेत्रों मे जातिगत आरक्षण तथा धनबल की राजनीति ने बौद्धिक वर्ग तथा सदन की योग्यता रखने वाले लोगों को दरकिनार कर दिया है। इसलिए देश में अच्छे मापदंड राजनीति में भी स्थापित किया जाए और विद्यार्थियों की तरह ही उनके लिए भी नेता पात्रता परीक्षा आयोजित किया जाए। जिसको पास करने वाले ही चुनाव लड़ने योग्य होंगे।
गोल्ड मेडलिस्ट शोध छात्र व लेखक कल्याण सिंह का कहना है कि जब सहायक प्राध्यापक के लिए नेट, अध्यापक बेसिक शिक्षा के लिए टेट, शोध उच्च शिक्षा के लिए रेट व अधीनस्थ सेवा के लिए टेट पास करना आवश्यक है तो देश में राजनीतिक दलों और क्षेत्रों में कोई चल जाएगा, ऐसा क्यों। उन्होंने राजनीतिक के क्षेत्र में किस्मत आजमाने वालों के लिए लेट (LET) यानी लीडर्स इंट्रेंस टेस्ट का आयोजन किया जाना चाहिए। कहा कि देश राजनीतिक दलों, पार्टियों में भी एक पात्रता परीक्षा की जरूरत महसूस कर रहा है। कहा कि इस देश में शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ सब चीजों में जब परीक्षा कराकर उनकी गुणवत्ता बढ़ाने का तर्क दिया जा रहा है। ऐसे में इन सारी चीजों के लिए नीतियां तैयार करने वाले लोगों के लिए तथा राजनीति में प्रवेश के लिए कोई मापदंड नहीं होना आश्चर्यजनक है। उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में अहर्ता प्राप्त करने के लिए पात्रता परीक्षा की पुरजोर वकालत की।
अनूप सिंह पूर्व जिला अध्यक्ष ग्राहक पंचायत बलिया व वरिष्ठ छात्र नेता इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने भी राजनीतिक पार्टी के लोगों के लिए लेट परीक्षा का समर्थन किया है।
डॉ शमी सिंह प्रदेश प्रवक्ता सजपा (युवा) ने कहा कि यह लक्ष्यहीन यात्रा कब तक चलेगी, इसका कोई जवाब किसी भी एजेंसी या सरकार के किसी विभाग द्वारा नहीं दिया जाता औऱ सिर्फ यह परीक्षा तंत्र पढ़े-लिखे बेरोजगारों के आर्थिक, मानसिक और सामाजिक शोषण के उपक्रम करते ही नजर आते हैं। जो इन युवाओं के भविष्य के लिए दुःखद और चिंतनीय है।