महज 23 साल की उम्र में शहीद-ए-आजम भगत सिंह को फांसी दी गई थी
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
“भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ब्रिटेन की आंतरिक राजनीति का शिकार हुए। उनके साथ जो कुछ हुआ वह न्याय नहीं था, बल्कि अन्याय हुआ था।“ महज 23 साल की उम्र में शहीए-ए-आजम भगत सिंह व उनके सहयोगी क्रांतिकारी सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च 1931 में फांसी देने के बाद बाबा साहब डॉ.भीम राव आंबेडकर Baba Sahab Dr Bhim Rao Ambedkar ने यह बात कही थी। बाबा साहब ने इन तीनों क्रांतिकारियों की फांसी को बलिदान के रूप में रेखांकित किया था।
बाबा साहब डॉ.आंबेडकर ने अपने संपादकीय में भगत सिंह की फांसी के संदर्भ में भारत India और ब्रिटेन Britain में हुई खुली और गुप्त राजनीति पर प्रकाश डालते हुए लिखते हैं कि गांधी जी और इर्विन भगत सिंह की फांसी को उम्र कैद में बदलने के हिमायती थे। गांधी जी Gandhi Ji ने इर्विन से वादा भी लिया था। लेकिन ब्रिटेन की आंतरिक राजनीति के चलते इन तीनों को फांसी दी गई, ताकि ब्रिटेन की जनता को खुश किया जा सके।
बाबा साहब लिखते हैं कि लब्बोलुआब यही कि जनमत की परवाह किए बगैर गांधी-इर्विन समझौते का क्या होगा, इसकी चिंता किए बिना विलायत के रूढ़िवादियों के गुस्से का शिकार होने से अपने आप को बचाने के लिए भगत सिंह आदि की बलि चढ़ाई गई। यह बात अब छिप नहीं सकेगी और यह बात सरकार को पक्के तौर पर मान लेनी चाहिए। साभार: www.dalitawaaz.com