रिजल्ट के इंतजार में प्रतियोगी रेस से बाहर हुए युवा
लखनऊ, 21 मई
देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश आजादी के 70 साल बाद भी रोजगार के मामले में शून्य है। यहां के युवा आज भी सरकारी नौकरी पर निर्भर हैं अथवा अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं। खास बात यह है कि यहां पर पिछले दो साल से भाजपा जैसी राष्ट्रवादी पार्टी की सरकार है, बावजूद इसके यहां के युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश इस सूबे के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। आलम यह है कि रिजल्ट के इंतजार में हर साल लाखों छात्र- छात्राओं की उम्र सीमा समाप्त हो जाती है।
उत्तर प्रदेश में साल भर पहले एलटी का एक्जाम हुआ था। 10 हजार से ज्यादा पद जीआईसी में एलटी के खाली हैं, जो कि कुल पदों का लगभग 50 परसेंट है। आयोग ने प्रतियोगी छात्रों के दबाव में 16 मार्च से रिजल्ट निकालना शुरू किया था, लेकिन अब तक केवल 1000 पदों के ही परिणाम जारी किए गए। खास बात है कि उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पिछले साल दिसंबर में ही ज्वाइनिंग का वायदा किया था, बावजूद इसके आयोग फिसड्डी साबित हो रहा है।
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बता दें कि सपा सरकार में इन पदों पर मेरिट से भरने की घोषणा की गई थी, लेकिन योगी सरकार ने इस पॉलिसी को बदलकर परीक्षा के माध्यम से भरने का निर्णय लिया।
इसी तरह यूपीपीसीएस 2017 के मेंस का एक्जाम साल भर पहले हुआ था, लेकिन अभी तक परिणाम घोषित नहीं किए गए।
उत्तर प्रदेश आरओ 2016 की प्री परीक्षा के 3 साल पूरे हो गए, लेकिन परिणाम अभी तक जारी नहीं किए गए।
उत्तर प्रदेश लोअर का रिजल्ट आए 12 महीने से ज्यादा हो गए, लेकिन अभी तक मार्कशीट जारी नहीं हुए।
मई महीना समापन की ओर है, पीसीएस 2019 का विज्ञापन अभी तक जारी नहीं हुआ।
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बांदा के बबेरू के रहने वाले प्रतियोगी छात्र डॉ.सुनील पटेल शास्त्री कहते हैं, “ऐसा ही हाल अन्य भर्ती आयोगों का भी है। लखनऊ भर्ती आयोग 2 साल में एक भर्ती भर पाया है। शिक्षा आयोग अभी तक कोई भी भर्ती का विज्ञापन नही निकाल पाया, जबकि पुराने ही लटके हैं। इसी तरह टीजीटी और पीजीटी 2016 की भर्ती कब क्लियर होगी, यह भगवान ही जानते हैं। क्योंकि इसका एक्जाम हुए 3 साल हो चुके हैं।“