ओमप्रकाश राजभर के विवादित बयान से खासा नाराज है भाजपा नेतृत्व
लखनऊ, 20 मई
सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया एवं उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्ती के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और अधिक सख्ती कर सकती है। पिछले साल भर से ओमप्रकाश राजभर द्वारा भाजपा नेताओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी से भाजपा नेतृत्व खासा नाराज है। उधर, ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी के बाद उनका विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अनिल राजभर को देकर उनका कद बढ़ा दिया गया है। ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्ती के बाद उनके बेटे और पार्टी नेताओं को दिया गया दर्जा प्राप्त मंत्री का पद भी छीन लिया गया है।
बता दें कि 19 मई को सातवां चरण का चुनाव समाप्त होते ही लोकसभा चुनाव 2019 संपन्न हो गया। चुनाव समाप्त होने के अगले दिन ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्ती की सिफारिश कर दी, जिसे राज्यपाल ने मंजूर कर उनको पद से मुक्त कर दिया है।
भाजपा के खिलाफ आए दिन विवादित बयान देते थें ओमप्रकाश राजभर:
सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर आए दिन भाजपा नेताओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी करते थे। दो दिन पहले चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मऊ जिला में उन्होंने भाजपा नेताओं को जूता मारने का बयान दिया था। ओमप्रकाश राजभर के इस बयान के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
इसी तरह 10 दिन पहले ओमप्रकाश राजभर के बेटे ने भाजपा के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी और भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। कुंभ मेला आयोजन के दौरान ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि कुंभ मेला में भाजपा नेता पाप धोने गए हैं।
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इसी तरह भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर को घोसी संसदीय सीट से भाजपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था तो ओमप्रकाश राजभर ने कहा था, ‘योगी तेरी औकात नहीं है।’ ओमप्रकाश राजभर के इस बयान पर भी भाजपा नेताओं ने नाराजगी जताई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव की वजह से भाजपा शीर्ष नेतृत्व शांत था। चुनाव समाप्त होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी की सिफारिश कर दी।
अनिल राजभर का कद बढ़ा:
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल राजभर का कद बढ़ा दिया है। उन्होंने पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग जन विकास का पद अनिल राजभर को दे दिया। अब तक यह विभाग ओमप्रकाश राजभर के पास था। वैसे भी ओमप्रकाश राजभर और अनिल राजभर दोनों पूर्वांचल और एक ही समाज से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी वजह से दोनों के बीच पुरानी अदावत है। पिछले साल दोनों नेताओं के बीच विवाद तूल पकड़ लिया था। इसके अलावा ओमप्रकाश राजभर के विवादित बयानों से असहज भाजपा ने पिछले साल राजभर समाज के नेता सकलदीप राजभर को राज्यसभा सदस्य बनाया।
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बेटा अरविंद राजभर भी बर्खास्त:
लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा से चंद मिनट पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर और पार्टी के अन्य सदस्यों को निगमों और परिषदों से भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इनमें अरविंद राजभर को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के चेयरमैन पद से हटाया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के अध्यक्ष राणा अजीत सिंह, राष्ट्रीय एकीकरण परिषद से सुनील अर्कवंशी और राधिका पटेल, उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के सदस्य पद से सुदामा राजभर, उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग से गंगाराम राजभर और वीरेंद्र राजभर को भी हटा दिया गया है।
सरकार में रहते हुए भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े राजभर:
यह चुनाव अब तक हुए अन्य लोकसभा चुनावों से कुछ मायने में अलग रहा। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद प्रदेश की 39 लोकसभा सीटों पर ओमप्रकाश राजभर ने अपने प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव लड़ाया। खास बात यह है कि जिन स्थानों पर इनके प्रत्याशियों का नामांकन किसी कारणवश खारिज कर दिए गए, वहां पर इन्होंने भाजपा प्रत्याशी को हराने वाले प्रत्याशी को जिताने का फरमान जारी किया था।