केके वर्मा , लखनऊ
उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग द्वारा शुक्रवार को आयोग कार्यालय, इन्दिरा भवन लखनऊ में विभिन्न जनपदों से प्राप्त शिकायतों पर सुनवाई की। आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने मामलों की सुनवाई करते हुए अधिकारियों की अनुपस्थिति पर कड़ी नाराजगी जताई और स्पष्ट किया कि भविष्य में सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा।
शुरुआत में अमरजीत बनाम जिलाधिकारी, बहराइच के मामले की सुनवाई की गई, जिसमें अमरजीत ने जाति प्रमाण पत्र जारी न होने की शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी या संबंधित अधिकारी की अनुपस्थिति पर अध्यक्ष ने गहरी नाराजगी व्यक्त की। हालांकि, प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि जाति प्रमाण पत्र अब जारी कर दिया गया है, जिसके बाद मामला निपट गया।दूसरे मामले में पटेल अवधेश निरंजन ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति और कुलसचिव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसर को पदोन्नति और विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं दी गई। कुलसचिव की अनुपस्थिति पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष ने अगली सुनवाई में उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए।
कंवरपाल सिंह बनाम प्रमुख सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक, शामली के मामले में शिकायत थी कि पुलिस ने हत्या के एक मामले में शिकायतकर्ता के परिवार को झूठे तरीके से फंसा रखा है। पोलीग्राफी टेस्ट में परिवार के खिलाफ कोई रिपोर्ट न मिलने के बावजूद उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है। इस पर आयोग ने गृह विभाग को निर्देश दिया कि मामले की जांच निकटवर्ती जनपद के किसी वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाए।डा. सत्येन्द्र सिंह की प्रोन्नति में देरी के मामले में आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए आईआईटी के निदेशक और ए.के.टी.यू. के कुलसचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
सरोज देवी, बाँदा की शिकायत पर, जिसमें दो साल से वरासत दर्ज नहीं की गई थी, जिलाधिकारी बाँदा ने सुनवाई के दौरान वरासत दर्ज कराने की पुष्टि की। नायब तहसीलदार बाँदा द्वारा इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिससे मामला सुलझ गया। आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने कई मामलों में संबंधित अधिकारियों की अनुपस्थिति पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान अधिकारियों की अनुपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और भविष्य में ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा।
उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग द्वारा इस सुनवाई में विभिन्न जनपदों से प्राप्त महत्वपूर्ण मामलों पर विचार किया गया और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए गए।