“किसानों की लूट कॉरपोरेट को छूट” की नीति को बढ़ावा दे रही है सरकार: एआईकेएससीसी
These ordinances will increase suicides among farmers
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए तीन अध्यादेशों ordinance से किसानों Farmers की स्थिति और अधिक दयनीय हो सकती है। ये अध्यादेश हैं: 1. कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सुविधा) अध्यादेश 2020, 2. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता) अध्यादेश 2020, 3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश 2020। इसके अलावा बिजली कानून (संशोधन) विधेयक 2020 आदि अध्यादेशों को लाकर कृषि संबंधी राज्यों के अधिकार छीन लिए हैं तथा कृषि मार्केट कानून में भी बदलाव किए हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति AIKSCC की वर्किंग कमेटी ने इन अध्यादेशों का विरोध करते हुए कहा है कि इन अध्यादेशों से “किसानों की लूट कॉरपोरेट को छूट” की नीति को आगे बढ़ाना है। इनसे जमाखोरी व कालाबाजारी बढ़ेगी, फसल के दाम घटेंगे, सरकारी एमएसपी समाप्त हो जाएगा, बाजार में खाने के दाम बढ़ेंगे, किसानों की कर्जदारी तथा जमीन से बेदखली व आत्महत्या की घटनाएं बढ़ेंगी।
लॉकडाउन का हुआ दुरुपयोग:
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन Lockdown का दुरुपयोग किसानों और मजदूरों के खिलाफ कानून बनाने और कॉरपोरेट के पक्ष में नीतियां तेजी से लागू करने के लिए किया जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिक शहीदों तक की खोज खबर नहीं ली गई और केवल समाज को धर्म के आधार पर बांटने और देश के संसाधन व बाजार बड़े विदेशी व घरेलू कॉरपोरेट को सौंपने का काम किया जा रहा है।
लॉकडाउन में श्रमिकों को वेतन नहीं मिला:
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का कहना है कि घोषणाएं करने के बावजूद,,
-केंद्र सरकार ने श्रमिकों को तालाबंदी के दौरान मजदूरी का भुगतान नहीं कराया,
-मजदूरों की छंटनी नहीं रोकी,
-सभी मजदूरों को 10 हजार रुपए नगद प्रतिमाह हस्तांतरित नहीं किया गया,
-48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों व 68 लाख पेंशनरों का महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया,
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-कई राज्यों में काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए गए।
-सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का विनिवेश और थोक निजीकरण हो रहा है।
-भारतीय रेलवे, रक्षा, बंदरगाह , डाक, कोयला, एयर इंडिया, बैंक और बीमा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एफडीआई को अनुमति देकर देश के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को सुगम बनाया जा रहा है।
-प्रवासी श्रमिकों को रोजगार की समस्या, उन्हें मनरेगा के तहत न तो रोजगार उपलब्ध कराया गया और न ही उन्हें 500 रुपए प्रतिदिन की दर पर कम से कम 200 दिन काम दिया।
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